कोटद्वार का पनियाली नाला थोड़ी ही बारिश से उफान पर, भविष्य के लिए खतरे की घंटी, देखिये वीडियो

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कोटद्वार। कोटद्वार में आज हुई कुछ देर की ही बारिश से पनियाली नाला उफान पर आ गया था। पनियाली नाले से सटे घरों के लोग नाले के उफान पर होने से घर के बाहर आ गए थे। इस नाले के उफान पर आने से कुछ वर्ष पूर्व एक मकान नाले में ही गिर गया था और कुछ मकानों में दरारें आ गई थी।

लालबत्ती से देवीरोड जाने वाली रोड पर ये नाला पशु चिकित्सालय से जुड़ा हुआ है और इसके आसपास कई बड़ी बड़ी बिल्डिंगे बनी हुई है। यदि समय रहते प्रशासन ने आसपास बनी बिल्डिंगों को नही हटाया तो कभी भी कोई अप्रिय घटना होने से इनकार नहीं किया जा सकता है।
यहाँ यह बताते चलें कि कोटद्वार में जिन नदियों का पानी आज तक घरों में नहीं घुसा, वहां रिवर ट्रेनिग के नाम पर नदियों को पाताल में पहुंचा दिया और जहां रिवर ट्रेनिग की जरूरत थी, उस पनियाली गदेरे की आज भी सुध नहीं ली जा रही। पिछले पांच वर्षों में सरकारी सिस्टम की कार्यप्रणाली ने आमजन की सुध भले ही न ली हो, लेकिन सत्तासीनों के चहेतों को चांदी कटवाने के कोई मौके नहीं छोड़े। जिस पनियाली गदेरे ने पिछले पांच वर्षों में सात जिंदगियां लील ली, उसमें आज तक कोई बाढ़ सुरक्षा कार्य नहीं, लेकिन जिन मालन, सुखरो, खोह, तेलीपाड़ा गदेरों का पानी आज तक आमजन के घरों में नहीं घुसा, उन गदेरों में बड़ी मशीनें लगाकर जबरदस्त खनन करवा दिया गया है। पिछले पांच वर्षों में कोटद्वार क्षेत्र की नदियों में रिवर ट्रेनिंग के नाम पर बड़े पैमाने पर नदियों से उपखनिजों का उठान किया गया। लेकिन कई मौतों के जिम्मेदार पनियाली गदेरे की सुध लेने की जहमत सरकारी तंत्र ने नहीं उठाई। लैंसडौन वन प्रभाग की कोटद्वार रेंज के जंगलों से निकलकर नगर के मध्य से होकर गुजरने वाला यह गदेरा क्षेत्र में तबाही का सबब बना हुआ है। जनता लगातार इस गदेरे की सफाई कर गदेरे को गहरा करने की मांग कर रही है। बरसात के दौरान खोह व सुखरो नदियों से सिर्फ भू-कटाव होता है, लेकिन पनियाली गदेरे से होने वाली तबाही का अंदाजा महज इस बात से ही लगाया जा सकता है कि 2017 से 2019 के मध्य इस गदेरे के कारण बरसात में कई परिवार बेघर हुए। साथ ही सात व्यक्तियों को जिंदगी से हाथ धोना पड़ा।

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