रमजान के महीने में घर की महिलाओं पर बढ़ जाती है जिम्मेदारी: एडवोकेट रीमा
हरिद्वार। रोजे की हालत में ईबादत से लेकर घर के तमाम कामों को बखूबी अंजाम देती है, और जो फील्ड में काम करने वाली युवतियां और महिलाएं होती हैं। उनके ऊपर डबल जिम्मेदारी हो जाती है उनको रोजे की हालत में अपने ऑफिस के साथ अपने घर के कामों को भी देखना होता है।
जो चीजे वो गैर महीने में हमको बनाकर नही खिलाती है, वो इस महीने में हमको बना के देती है, सदका देना, खाना बांटना, परिवार की जरूरतों का ख्याल रखना उनकी मनपसंद की चीजें बनाना, खरीदारी करना भी उन्हीं को देखना पड़ता है।
पुरुषों से ज्यादा इबादत भी करती है। लिहाजा अपने घर की औरतों / लड़कियों का ज़्यादा से ज़्यादा खयाल रखें।
उनके कामों में अपना ज्यादा से ज्यादा हाथ बंटाएं। रमजान आपको आपके काम करने पर नहीं रोकता, आपको काम पर जाने से नहीं रोकता। रोजा आपको अंदर से ताकत देता है। रोजे का मतलब सिर्फ भूखा प्यासा रहना नहीं, अपनी रोज की रूटीन को बरकरार रखकर इबादत करना और गरीबो का विशेष ध्यान रखना है।
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