हरिद्वार और पौड़ी में स्टार प्रचारकों के आने के बाद भी आसान नहीं भाजपा प्रत्याशियों की डगर
–पौड़ी में कांग्रेस और हरिद्वार में निर्दलीय प्रत्याशी को मिल रहा जनसमर्थन
वैभव भाटिया खबर डोज, देहरादून। लोकसभा चुनाव की तारीख नजदीक आते ही उत्तराखंड में चुनावी माहौल गरमाने लगा है। 19 अप्रैल को मतदान होना है। पौड़ी संसदीय सीट से मतदाताओं को रिझाने के लिए कांग्रेस और भाजपा अपनी-अपनी तैयारियों में जुटी हुई है। जबकि हरिद्वार संसदीय सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी उमेश कुमार ने बिना स्टार प्रचारकों के ही जनता से मिल रहे समर्थन से भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों को हैरानी में डाल रखा है। जबकि हरिद्वार और पौड़ी में स्टार प्रचारकों के आने के बाद भी भाजपा प्रत्याशियों की डगर आसान नहीं दिख रही है।
उत्तराखंड में कुल मतदाताओं के करीब 12 फीसदी मतदाता सैन्य परिवारों से हैं। ये वोटर पांच में से तीन सीटों पर जीत-हार की निर्णायक भूमिका निभाते हैं। पौड़ी गढ़वाल की लोकसभा सीट में 14 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। जिनमें से 13 विधानसभाओं में भाजपा के विधायक थे, एक ने बद्रीनाथ विधानसभा से कांग्रेस जीती, लेकिन लोकसभा चुनाव में उस विधानसभा के विधायक ने कांग्रेस का छोड भाजपा का दामन थाम लिया। इन सभी के बीच पौड़ी लोकसभा सीट राजनैतिक, धार्मिक और आंदोलन की दृष्टि से अपनी अलग पहचान रखती है। पौड़ी जिले से प्रदेश को पांच मुख्यमंत्री मिले हैं। पौड़ी लोकसभा सीट से इस बार भाजपा ने राष्ट्रीय मीडिया सलाहकार अनिल बलूनी को चुनाव मैदान में उतारा है। वह राज्यसभा सांसद और कोटद्वार से पहले विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान उन्हें कोटद्वार से हार का मुंह देखना पड़ा था। कांग्रेस ने पार्टी के पूर्व अध्यक्ष रह चुके गणेश गोदियाल को मैदान में उतारा है। हाल ही में विधानसभा चुनाव में गणेश गोदियाल भी हार का मुंह देख चुके हैं। कुल मिलाकर इस सीट पर भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर दिखाई दे रही है। अंकिता भंडारी हत्याकांड समेत अग्निवीर और बढ़ती बेरोजगारी को कांग्रेस बड़ा मुद्दा बना रही है, जबकि भाजपा मोदी लहर के भरोसे है। कांग्रेस प्रत्याशी की सभाओं में भीड़ जुट रही है। पीएम नरेंद्र मोदी की जनसभा के अलावा पूरे लोकसभा में अब यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की भी सभाएं रखी जा रही हैं। जिससे यह लग रहा है लोकसभा चुनाव में हरिद्वार और पौड़ी के भाजपा प्रत्याशियों की डगर आसान नहीं हैं। हरिद्वार लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले 14 विधानसभा क्षेत्रों में से 6 पर बीजेपी और 5 पर कांग्रेस काबिज है। तीन में से दो नगर निगमों पर भी बीजेपी का ही कब्जा है। इस सीट पर संतों का बोलबाला है। साथ ही पहाड़ी समाज और ब्राह्मण-पुरोहित, अनुसूचित जाति, पाल, तेली, झोझा, बंजारा, पंजाबी-सिख, सिंधी, वैश्य, साधु समाज, सैनी, जाट, गुर्जर, कुम्हार, त्यागी जातियां भी अहम हैं। मुस्लिम वोटर्स भी बड़ी संख्या में यहां मौजूद हैं। वहीं हरिद्वार संसदीय सीट से निर्दलीय प्रत्याशी उमेश कुमार ने त्रिकोणीय मुकाबला बनाकर भाजपा और कांग्रेस को हैरान कर दिया है। हरिद्वार से सांसद रह चुके पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपने बेटे वीरेंद्र रावत को प्रत्याशी बनाया है और क्षेत्र में उनकी अच्छी पकड़ है। उधर, बीजेपी ने हरिद्वार सीट से लगातार दो बार सांसद रहे पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक का टिकट काटकर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को चुनाव मैदान में उतारा है। निर्दलीय विधायक उमेश कुमार बतौर निर्दलीय प्रत्याशी हरिद्वार संसदीय सीट के कुछ क्षेत्रों में दोनों दलों का खेल बिगाड़ते दिख रहे हैं।
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