सुप्रीम कोर्ट के निर्णय और भाजपा पर उत्तराखंड पुलिस के सिपाही ने निकाली भड़ास

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कोटद्वार के न्यूज ग्रुप पर किया अपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग, बोला बहुत अच्छा ऐसा ही होना था, आएगी तो बीजेपी ही, XXXXXXमार भी दे आएगी बीजेपी ही

15 हजार पुलिसकर्मियों के एरियर भुगतान की तीसरी किश्त पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से रोक लगाने का था मामला

खबर डोज ने (पुलिसकर्मियों के एरियर भुगतान की तीसरी किश्त पर रोक, सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश) शीर्षक से 11 अप्रैल को प्रकाशित की थी खबर

कोटद्वार/नई दिल्ली। 15 हजार पुलिसकर्मियों के एरियर भुगतान की तीसरी किश्त पर रोक लगाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से लिए गए निर्णय के बाद उत्तराखंड पुलिस के एक जवान ने संबंधित समाचार पर कोटद्वार के एक न्यूज ग्रुप पर आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग किया है। जिसमें जवान ने लिखा है बहुत अच्छा ऐसा ही होना था, आएगी तो बीजेपी ही, XXXXXXमार भी दे आएगी।

पुलिसकर्मी के इस कृत्य से केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का अपमान हुआ है। न्यूज ग्रुप में इस पुलिसकर्मी का नाम दीपक के नाम से दिख रहा है। जब पुलिसकर्मी से न्यूज ग्रुप में पूछा गया कि इस तरह के आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग क्यों किया गया है तो उसने एक महिला पत्रकार से भी गलत शब्दों का प्रयोग किया। पुलिसकर्मी न्यूज ग्रुप में अपनी तैनाती का स्थान चंपावत बता रहा है।

यह समाचार खबर डोज पर की गई थी प्रकाशित
उत्तराखंड के करीब 15 हजार पुलिसकर्मियों को मिलने वाली एरियर की तीसरी किस्त पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। इससे पहले पुलिसकर्मी इसी एरियर की दो किस्त ले चुके हैं। लिहाजा, अब पुलिसकर्मियों को रिकवरी का भी डर सता रहा है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की एडीजी लॉ एंड ऑर्डर वी मुरुगेशन ने पुष्टि की है।
बता दें कि छठे वेतनमान की सिफारिशों के तहत उच्चीकृत वेतन ग्रेड पे को लेकर राज्य के हजारों पुलिसकर्मियों को वर्ष 2006 से एरियर दिए जाने का निर्णय लिया गया था। इसे राज्य सरकार की तरफ से तीन किस्तों में दिया जाना था। सरकार दो किस्तों में पुलिसकर्मियों को कुल 40 करोड़ रुपये दे भी चुकी है। जबकि, तीसरी किस्त दी जानी थी। इस मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने पुलिसकर्मियों को तीन किस्त में एरियर देने के आदेश दिए थे। लेकिन, राज्य सरकार ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में रोक लगा दी। एरियर का लाभ पाने वालों में कांस्टेबल, हेड कांस्टेबल और एएसआई स्तर के कर्मचारी शामिल हैं। एरियर के रूप में कुल 70 करोड़ रुपये का भार राज्य सरकार पर पड़ रहा है। इसी के चलते सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। खास बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से यदि इस मामले में सरकार के पक्ष में फैसला आता है तो अब तक दिए गए एरियर की रिकवरी भी पुलिसकर्मियों से हो सकती है। हालांकि, अभी ऐसी कोई स्थिति नजर नहीं आ रही है। बता दें कि राज्य में पुलिस विभाग के सिपाहियों को वर्ष 2008 में छठे वेतनमान का लाभ दिया गया था। इसके बाद वर्ष 2011 में कांस्टेबल और हेड कांस्टेबल का ग्रेड पे बढ़ गया था। इस स्थिति के चलते रिवाइज ग्रेड के आधार पर 2006 से एरियर देने की मांग की गई थी।

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