मालन पुल टूटने से पहले ही सात पुलों के खतरे की जद में होने की भेजी जा चुकी थी रिपोर्ट, मालन के आसपास हैं खनन के कई स्टॉक

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-पूर्व में हुआ अवैध खनन ही हैं पुलों के खतरों की जद में आने का मुख्य कारण
कोटद्वार। मालन नदी का पुल टूटने के बाद अब कोटद्वार के सभी पुलों पर राजनीति शुरू हो गई है। हालांकि पुलों के टूटने का कारण कोटद्वार में पहले हुआ अवैध खनन बताया जा रहा है। मालन नदी का पुल टूटने के बाद खुलासा हुआ कि कोटद्वार के सात पुल पर पहले ही खतरा मंडराने की बात बता दी गई थी। विगत वर्ष नवंबर में हुए सर्वे के दौरान यह बात सामने आई थी कि कोटद्वार के सभी पुल खतरे की जद में है। बावजूद इसके सरकार ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। जिसके परिणाम स्वरूप मालन नदी पर बना पुल धराशाई हो गया।
दरअसल कोटद्वार में काफी समय पहले खनन जोरों-शोरों से चला था। सूत्रों के मुताबिक नदियां बंद होने के बाद भी प्रशासन की मिलीभगत से कोटद्वार में अवैध खनन को शुरू कर दिया गया था। खनन माफियाओं ने नदी का कोई कोना खोदने से नहीं छोड़ा। नदी खोद-खोद कर बड़े गड्ढ़े कर दिए गए। मालन नदी के पुल के नीचे से भी देर रात में कई ट्रैक्टर ट्रालियों से नदियों में अवैध खनन किया जाता था। यह ट्रेक्टर ट्रालियां मालन नदी के आसपास बने स्टॉक में माल स्टॉक करते थे। इस दौरान अपनी साख बचाने के लिए कई बार वन विभाग की ओर से खनन माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही भी की गई, लेकिन मामला ठंडा होने के बाद फिर से अवैध खनन का खेल शुरू हो जाता था। मालन नदी में अवैध खनन होने के दौरान व्हाट्सअप ग्रुप के जरिए अधिकारियों की रेकी की जाती थी। उनके पास कोटद्वार के सभी अधिकारियों की सूचना रहती थी। कार्यालय या फिर आवास से बाहर निकलने पर उनकी सूचना आग की तरह फेलती थी।
खोह नदी के पुलों की बात की जाए तो वहां पर खनन माफिया देर रात से नदी खोदना शुरू कर देते हैं। उनका नेटवर्क सबसे तेज है। नदी से ट्रैक्टर निकलते ही सभी अपने-अपने स्थानों पर अलर्ट हो जाते हैं। खोह नदी में ट्रैक्टर चलाने वालों के मुखबिर तंत्र की बात की जाए तो उनसे जुड़े लोग एसडीएम कार्यालय के सामने, कोतवाली के पास, झंडाचौक पर, लालबत्ती पर तैनात रहते हैं। जिससे उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हो पाती है।
उधर, जिस तरह से विधानसभा अध्यक्ष ऋतु भूषण खंडूरी पुलों को लेकर पिछले एक वर्ष से पत्राचार की बात कह रही है। इससे साफ जाहिर होता है कि अपनी ही सरकार में उनकी कोई खास अहमियत नहीं है। जिस कारण उनको पैसा मांगने के लिए हाथ फैलाना पड़ रहा है। उन्होंने स्वयं यह बात कही है कि पिछले एक वर्ष से पत्राचार कर रही हूं, लेकिन पैसा नहीं दिया गया है।

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