कांवड़ मेलाः अब जलसंस्थान हरिद्वार के अधिशासी अभियंता पर लगा चहेते ठेकेदार को लाखों का टेंडर देने का आरोप

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ठेकेदार ने जिलाधिकारी हरिद्वार, सीजीएम, जीएम जलसंस्थान को भेजा शिकायती पत्र, की जांच की मांग
-पूर्व में चमगादड़ टापू पार्किंग का टेंडर कम दामों पर देने के सिंचाई विभाग की अधिशासी अभियंता पर लगे थे आरोप

जल संस्थान के अधिशासी अभियंता ने आरोप बताए निराधार

हरिद्वार। सरकार से लेकर प्रशासन कांवड मेले की तैयारियों में जुटा हुआ है। कांवड़ मेले को सकुशल संपन्न कराने को लेकर आए दिन सीसीआर में बड़ी-बड़ी बैठक आयोजित कर निर्णय लिए जा रहे हैं, लेकिन अधिकारी उन निर्णयों को ठेंगा दिखाकर अपनी मनमानी कर रहे हैं। सिंचाई विभाग के बाद अब उत्तराखंड जलसंस्थान अनुरक्षण शाखा (गंगा) के अधिशासी अभियंता पर नियमों को ताक पर रखकर चहेते ठेकेदार को लाखों का टेंडर देने का आरोप लगा है।
ठेकेदार राजेश कुमार ने शिकायती पत्र में बताया कि कांवड़ मेले में आने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए उत्तराखंड जलसंस्थान अनुरक्षण शाखा (गंगा) की ओर से हरिद्वार सीवरेज योजना के अंतर्गत 22 जून को टेंडर खोला गया था। जिसके बाद यह टेंडर 28 जून को अधिशासी अभियंता की ओर से चहेते ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए दे दिया गया। ठेकेदार राजेश कुमार ने बताया कि विभाग की ओर से प्री-बिड मीटिंग के प्रश्नोत्तरी समय से अपलोड नहीं की गई और बिना किसी कारण के निविदा प्रपत्र अपलोड करने की अंतिम तिथि को मात्र 7 दिन बढ़ा दिया गया। विभाग की ओर से यह बात टेंडर की वेबसाइट पर अपलोड की गई आख्या में स्वीकार की गई है। कहा कि अपने चहेते ठेकेदारों को कार्य देने के लिए सक्षम अधिकारी से अनुमति लिए बिना निविदा की तिथि को 7 बढ़ाए जाना विभागीय पारदर्शिता को साफतौर पर दिखा रहा है। ठेकेदार ने बताया कि वेबसाइट पर 22 जून को फर्म राजेश कुमार और पीपी कांट्रेक्टर की तकनीकी बिड पहले स्वीकृत की गई। जिसके बाद वित्तीय बिड खोली गई, लेकिन टेंडर चहेते ठेकेदार को देने के लिए बिड निरस्त कर दी गई। ठेकेदार राजेश ने बताया कि विभाग की ओर से अपलोड की गई आख्या के अनुसार एल 1 दरदाता जिंदल ट्रेडर्स की बी श्रेणी पंजीकरण की वैधता 2 अप्रैल 2023 को समाप्त हो चुकी है, लेकिन बावजूद इसके विभाग ने इसी फर्म के दस्तावेजों को सही माना है। बताया कि विभाग की ओर से घोषित एल 1 पर मैसर्स जिंदल के केनरा बैंक के 12 जून वर्ष 2021 को जारी किए गए सॉल्वेंसी प्रमाण पत्र को वैध माना गया है। जबकि बैंक की ओर से जारी किए गए प्रमाण पत्र की वैधता मात्र 6 माह ही है। विभागीय लेखाकार के मुताबिक सभी अभिलेख ठीक है। नोटिंग में लिपिकीय त्रुटि हुई है, लेकिन भूल का संज्ञान अन्य अधिकारियों ने भी नही लिया है। टेंडर में शामिल एक अन्य ठेकेदार ने जिलाधिकारी हरिद्वार और उत्तराखंड जलसंस्थान सीजीएम और जीएम को पत्र भेज कर टेंडर प्रक्रिया में बरती गई अनियमितताओं की जांच किए जाने की मांग की है। उधर, इस संबंध में उत्तराखंड जलसंस्थान अनुरक्षण शाखा (गंगा) के अधिशासी अभियंता राकेश कुमार ने बताया कि कांवड़ को लेकर विभाग की ओर से पूरी पारदर्शिता रखी गई है। फर्म राजेश कुमार के ठेकेदार राजेश कुमार की ओर से टेंडर प्रक्रिया को लेकर लगाए गए सभी आरोप निराधार है। जिंदल फर्म के सभी दस्तावेज विभाग के पास उपलब्ध है। जल्द ही ठेकेदार राजेश कुमार की ओर से लगाए गए आरोपों का जवाब दिया जाएगा।
बता दें कि इससे पूर्व कांवड़ मेले की तैयारियों के बीच सिंचाई विभाग हरिद्वार की अधिशासी अभियंता पर चहेते ठेकेदार को कम दामों पर पार्किंग का ठेका दिए जाने का आरोप लगा था। अन्य ठेकेदारों के विरोध करने और मामला जिलाधिकारी डीएस गर्ब्याल के संज्ञान में आने के बाद पार्किंग का ठेका निरस्त कर दिया गया था।

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