नामी संत के शिष्य ने 100 रुपए के स्टांप पर बेची कुंभ मेला की आरक्षित भूमि, सिंचाई विभाग की मौन

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-मेला आरक्षित भूमि पर हुआ चार मंजिला धर्मशाला का निर्माण

-यात्रियों से वसूलते हैं मनमाना किराया

-नगर निगम के लाइसेंस और पर्यटन विभाग में पंजीकरण के बिना हो रहा धर्मशाला का संचालन

-सिंचाई विभाग उत्तर प्रदेश की बड़ी लापरवाही आई सामने

हरिद्वार। कुंभ मेला के लिए सिंचाई विभाग आरक्षित भूमि को एक बड़े नामी संत के शिष्य ने 100 रुपये के एग्रीमेंट पेपर पर 25 लाख रूपए के दाम में एक व्यक्ति को बेच दिया है। उस व्यक्ति ने चार मंजिला धर्मशाला बनाकर लोगों से मनमाना किराया वसूलना भी शुरू कर दिया है। पूरे मामले में सिंचाई विभाग उत्तर प्रदेश की लापरवाही साफतौर पर दिख रही है।
सूत्रों के मुताबिक पूर्व अखाड़ा परिषद् के अध्यक्ष ज्ञानदास के शिष्य रामदास ने कनखल स्थित बैरागी कैंप में कुंभ मेला भूमि को हरियाणा निवासी पवन शर्मा को मात्र 25 लाख रूपए में दान कर दिया हैं। सिंचाई विभाग के अधिकारियों की मानें तो यह भूमि वर्ष 2010 कुंभ में पूर्व अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष को कुंभ मेला प्रशासन से आवंटन हुई थी। मेला आरक्षित भूमि खुर्द-बुर्द होने की शिकायत के बावजूद भी अधिकारी कार्रवाही करने के स्थान मौन साधे हैं। मेला आरक्षित भूमि पर अवैध रूप से चार मंजिला परशुराम धर्मशाला बना दी गई हैं। अनाधिकृत धर्मशाला को नगर निगम से कोई लाइसेंस नहीं मिला है। धर्मशाला का पर्यटन विभाग में भी कोई पंजीकरण नहीं है, लेकिन बावजूद इसके धर्मशाला धड़ल्ले से चल रही है। धर्मशाला में आने वाले यात्रियों से मनमाना किराया वसूल कर कमरों को दिया जा रहा है। खास बात यह है कि पूरे कुंभ के दौरान संत कभी भूमि की तरफ झांकने तक नही गया और बैरागी कैंप में ही बने दशनाम सन्यासियों के भवन में रहता रहा। इस आवंटित मेला भूमि पर संत के शिष्य ने शुरूआती दौर में टैंट गाढ़ा हुआ था और एक कुटिया बनाई हुई थी। देखते ही देखते कुटिया एक बड़ी धर्मशाला बन गई। इकरारनामे के अनुसार हरियाणा निवासी पवन शर्मा और धर्मशाला संचालक ने महंत रामदास शिष्य बेवदास (शिष्य महंत ज्ञानदास महाराज) से इस मेला आरक्षित भूमि की कीमत पच्चीस लाख रूपए दी हैं। बता दें कि करोड़ों की संपत्ति खुर्द बुर्द करने में संत ने संस्था से कोई रजिस्टर्ड एग्रीमेंट नही किया हैं। बल्कि एक 100 रूपए के स्टाम्प पेपर पर दोनों के बीच बतौर इकरारनामा किया गया हैं। आपकों बता दें कि वर्तमान परिस्थितियों में कनखल बैरागी कैंप मेला आरक्षित भूमि की यह स्थिति हैं कि यहां मेला भूमि का बड़ा भू-भाग विभागीय उदासीनता के चलते अतिक्रमण की जद में हैं। इतना ही नही मेला भूमि पर अतिक्रमणकारियों को सरकारी रहनुमाओं के तहत सड़क, बिजली और जल आपूर्ति तक की हर सुविधा मुहैया कराई जा चुकी हैं। बैरागी कैंप मेला भूमि को खुर्द बुर्द करने का यह खेल लंबे समय से खेला जा रहा हैं, लेकिन, देखा जाए तो शासन- प्रशासन इस पूरे मामले पर चिर निंद्रा में दिख रहा हैं। सिकुड़ती मेला भूमि के मामले पर न ही सरकार को कोई चिंता हैं और न ही सिस्टम ही गंभीर दिखता हैं। ऐसे में सवाल यह उठता हैं कि जब मेला भूमि ही नही बचेगी तो शासन-प्रशासन आगामी मेलों को संपन्न कराने के भूमि कहां से लाएगा और किस तरह सकुशल कराएगा। मेला भूमि खुर्द बुर्द किए जाने का मामला सामने आने के बाद से कई सामाजिक संगठन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से मामले में शिकायत कर कार्रवाही करने की मांग की हैं। एचआरडीए के सचिव उत्तम सिंह चौहान ने बताया कि इस मामले में सिंचाई विभाग उत्तर प्रदेश के अधिकारियों की ओर से कोई भी शिकायत विभाग को नहीं दी गई है। एचआरडीए पर शिकायत आने के बाद पूरे मामले की जांच कर कार्रवाई की जाएगी। यूपी सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता शिव कौशिक ने बताया कि मेरे संज्ञान में एक दिन पहले आया है। इस मामले में जल्द ही कार्रवाई की जाएगी। वैसे इस प्रकार के कई मामले हैं।

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