अनुसूचित जाति के वाहन चालक के साथ भेदभाव का आरोप, आयुर्वेद विवि के कुलसचिव के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की मांग

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देहरादून। उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय, हर्रावाला में कार्यरत रहे अनुसूचित जाति के वाहन चालक अशोक कुमार को सेवा विस्तार से वंचित रखने, लंबित वेतन का भुगतान न करने और विभिन्न आयोगों और शासनादेशों की अवहेलना करने के आरोपों में कुलसचिव रामजी शरण शर्मा के विरुद्ध कार्रवाई की मांग तेज हो गई है।

राज्य सफाई कर्मचारी आयोग के उपाध्यक्ष भगवत प्रसाद मकवाना ने 18 जून को मुख्य सचिव को पत्र लिख कार्रवाई की मांग की है। पत्र में लिखा है कि अशोक कुमार वर्ष 2014 से विश्वविद्यालय में नियमित रूप से सेवाएं दे रहे थे। जनवरी 2024 में कर्मचारियों ने सेवा विस्तार की मांग को लेकर आंदोलन किया था। आंदोलन के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा 84 स्वीकृत पदों में से 42 कर्मियों को ही पुनर्नियुक्त किया गया।

विशेष रूप से वाहन चालकों के मामले में, कुल पाँच चालकों को पुनर्नियुक्ति दी गई, जबकि अशोक कुमार को, जो अनुसूचित जाति से आते हैं, सेवा विस्तार से वंचित कर दिया गया।

हैरानी वाली बात यह है कि जिन पाँच चालकों को पुनर्नियुक्ति दी गई, वे भी आंदोलन में शामिल थे और उन्हें वेतन भी दे दिया गया, जबकि अशोक कुमार का वेतन अब तक लंबित है।

अशोक कुमार द्वारा इस भेदभाव की शिकायत उत्तराखण्ड अनुसूचित जाति आयोग, सफाई कर्मचारी आयोग, मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, आयुष विभाग, तथा माननीय विधायकों तक पहुंचाई गई।

आयोगों द्वारा विश्वविद्यालय प्रशासन को समयबद्ध कार्रवाई के आदेश दिए गए, जिनमें अनुसूचित जाति आयोग का 10 दिन में वेतन भुगतान व सेवा विस्तार का निर्देश भी शामिल है।

इसके बावजूद कुलसचिव रामजी शरण शर्मा न तो आदेशों का अनुपालन कर रहे हैं और न ही आयोगों के समक्ष तथ्यों सहित स्वयं उपस्थित हो रहे हैं। कई बार बुलावे के बावजूद कुलसचिव की ओर से आयोग में अधीनस्थों को भेजा गया या अनुपस्थिति की सूचना ईमेल से दी गई।

आरोप है कि यह आचरण न केवल आयोगों के अधिकारों की अवमानना है, बल्कि एक सुनियोजित जातिगत भेदभाव का मामला भी है। पत्र में कहा गया कि अशोक कुमार के अतिरिक्त शंकर बरण और विक्रम सिंह नेगी, जो भी अनुसूचित जाति समुदाय से हैं, को भी सेवा विस्तार से वंचित किया गया है।

विश्वविद्यालय के होम्योपैथिक संकाय के प्राचार्य डॉ. विश्वकर्मा टम्टा ने भी आयोग को बताया कि कुलसचिव द्वारा उनके साथ अभद्र व्यवहार किया गया।

प्रकरण में अब आयोगों द्वारा सख्त रुख अपनाया गया है और कुलसचिव के विरुद्ध विभागीय जांच तथा उनकी वार्षिक गोपनीय प्रविष्टि (ACR) में प्रतिकूल टिप्पणी दर्ज करने की संस्तुति की गई है।

सफाई कर्मचारी आयोग एवं अनुसूचित जाति आयोग ने राज्य शासन से मांग की है कि अनुसूचित जाति के पीड़ित कर्मचारी अशोक कुमार को शीघ्र सेवा विस्तार और बकाया वेतन प्रदान किया जाए तथा दोषी अधिकारी के विरुद्ध कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।

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