भ्रष्टाचार पर धामी सरकार का बड़ा प्रहार, हरिद्वार नगर निगम जमीन घोटाला, दो IAS और एक पीसीएस अधिकारी पर गिरी गाज

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हरिद्वार नगर निगम जमीन घोटाले की जांच रिपोर्ट शहरी विकास सचिव को सौंपी गई। रिपोर्ट में भूमि खरीद में दो आइएएस और एक पीसीएस अधिकारी की संलिप्तता पाई गई है। निगम ने सराय गांव में 50 करोड़ की जमीन खरीदी थी जिसमें अनियमितता के आरोप हैं। कई अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया था। मुख्यमंत्री के आदेश पर आइएएस अधिकारी ने जांच की। रिपोर्ट में कार्यवाही की सिफारिश की है।

हरिद्वार नगर निगम जमीन घोटाले की जांच पूरी हो गई है। जांच अधिकारी आइएएस रणवीर सिंह ने जांच रिपोर्ट सचिव शहरी विकास नितेश झा को सौंप दी है। सूत्रों की मानें तो 100 पृष्ठों से अधिक की इस रिपोर्ट में भूमि खरीद प्रकरण में दो आइएएस व एक पीसीएस अधिकारी की संलिप्तता पाई गई है। यद्यपि, इसकी अधिकारिक रूप से पुष्टि नहीं हो पाई है।
हरिद्वार नगर निगम ने सराय गांव में लगभग 50 करोड़ की लागत से 35 बीघा भूमि क्रय की थी। यह राशि निगम को हरिद्वार रिंग रोड के निर्माण के दौरान मुआवजे के रूप में प्राप्त हुई थी। आरोप है कि इस क्षेत्र में सर्किल रेट अधिक है, जबकि मार्केट रेट काफी कम है। निगम ने सर्किल रेट पर यह भूमि क्रय की। इस भूमि में निगम ने 56 दुकानों का निर्माण कराया है। मामला प्रकाश में आने पर इसकी प्राथमिक जांच की गई।
जांच में प्रथम दृष्ट्या अनियमितता पाए जाने पर प्रभारी सहायक नगर आयुक्त रविंद्र कुमार दयाल, प्रभारी अधिशासी अभियंता आनंद सिंह मिश्रवाण, कर एवं राजस्व निरीक्षक लक्ष्मीकांत भट्ट और अवर अभियंता दिनेश चंद्र कांडपाल को निलंबित कर दिया गया। सेवानिवृत्त संपत्ति लिपिक वेदपाल का सेवा विस्तार समाप्त करते हुए उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के निर्देश दिए गए। वहीं, वरिष्ठ वित्त अधिकारी निकिता बिष्ट से स्पष्टीकरण तलब किया गया।

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