कोतवाल साहब मत लगाओ ईमानदार कप्तान साहब की छवि पर दाग, मत चलने दो कोतवाली में दलालों का राज

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हरिद्वार। कोतवाल साहब मत लगाओ ईमानदार कप्तान साहब की छवि पर दाग, मत चलने दो कोतवाली में दलालों का राज, यह बात जिले की एक प्रमुख कोतवाली में डील तय करने वाले खास बन गए दलालों पर सटीक बैठ रही है।

सूत्रों के मुताबिक जिले की एक प्रमुख कोतवाली में इन दिनों पुलिसकर्मियों से ज्यादा दलालों की तूती बोल रही है। मामला चाहे एफआईआर दर्ज कराने का हो या फिर किसी मामले से नाम हटवाने का हर काम की एक तय रेट लिस्ट है। हर दरवाजे पर फरियादियों से पहले दलाल पहुंचते हैं।
सूत्रों के मुताबिक कोतवाली के बाहर और अंदर सक्रिय दलाल सीधे तौर पर पुलिस से जुड़े हैं। यह दलाल खुद को ‘थाने का आदमी’ बताकर फरियादियों से बातचीत शुरू करते हैं और फिर मामला कितनी रकम में सुलझेगा, ये ‘डील’ भी वही तय करते हैं। हैरानी की बात ये है कि कोतवाली के जिम्मेदार से लेकर जिले के पुलिस अधिकारी इस पूरे सिस्टम से अंजान बने हुए हैं। यदि सिस्टम में दलालों की करतूत सामने आई तो कोतवाल साहब की कुर्सी भी खतरे में आने में बहुत कम समय लगेगा।
सूत्रों की मानें तो किसी पर एफआईआर दर्ज करवानी हो, किसी केस से नाम निकलवाना हो तो रेट तय है। मामला किस तरह का है, उसी हिसाब से रेट हैं। थाने में अपनी गुहार लगाने आने वाले लोगों को पहले तो दलालों से दो-चार होना पड़ता है। कई बार तो पीड़ित को थाने में घुसने भी नहीं दिया जाता है, जब तक वो ‘सही व्यक्ति’ से बात न कर ले। इस वजह से आम जनता का पुलिस पर से भरोसा डगमगा रहा है और थाने की छवि के साथ साथ कप्तान की छवि धूमिल हो रही है।

नोट: सभी आरोपों की जांच होनी चाहिए, यह खबर पीड़ितों की नाम न छापने की शर्त पर प्रकाशित की गई है

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