शहर में लागू हुआ नया यातायात प्लान बना नेताओं का मुद्दा

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कोटद्वार। शहर में लागू हुआ नया यातायात प्लान आजकल स्थानीय नेताओं के लिए नेतागिरी का मुद्दा बन गया है। ट्रैफिक पुलिस की ओर से लागू किए गए नए प्लान में सहयोग करने के बजाय उसमे बाधा बन रहे है। जबकि नगर का अतिक्रमण, सड़कों की बुरी हालत और पार्किंग व्यवस्था असली मुद्दा है। नगर के सभी वार्डों में सड़को की जिम्मेदारी नगर निगम की है, लेकिन नगर निगम को इस बात से कोई मतलब नही, न ही आज तक नगर निगम ने पार्किंग की व्यवस्था की। राष्ट्रीय राजमार्ग की कौड़िया से लेकर बुद्धा पार्क तक बहुत ही ज्यादा बुरी हालत हो चुकी है पर राष्ट्रीय राजमार्ग NH इस मामले में सोया हुआ है। स्थिति ये है कि ट्रैफिक पुलिस लगातार ट्रैफिक सुधार करने के प्रयास में लगी रहती है और बिना नगर निगम व NH के नगर की व्यवस्था में सुधार लाना नामुमकिन है जिस कारण ट्रैफिक पुलिस चाह के भी नगर की व्यवस्था में पूरी तरह सुधार नही ला पा रही जबकि आये दिन ट्रैफिक पुलिस कोटद्वार में पार्किंग और ट्रैफिक व्यवस्था को सुचारू बनाने को लेकर प्रयास करती रहती है। इतना ही नही पुलिस द्वारा इन सम्बन्धित विभागों से कई बार सम्पर्क करके सहयोग मांगा गया लेकिन शायद ये चाहते ही नही कोटद्वार की सड़कें ठीक हो, शहर में पार्किंग व्यवस्था हो और अतिक्रमण हटे। गोखले मार्ग, पटेल मार्ग व स्टेशन रोड से अतिक्रमण हटवाने के छोटे-मोटे प्रयास होते है और 1-2 दिन में चंद छुटभैया नेताओं और कुछ व्यापारियों के दबाव में अतिक्रमण हटवाने वाली टीम चुपचाप जाकर अपने कार्यालय में बैठ जाती है। फिर ट्रैफिक पुलिस के प्रयासों की सोशल मीडिया पर आलोचना होने लगती है कि सड़क तो ठीक नही है, पार्किंग कही नही है और अतिक्रमण क्यो नही हटाया जाता जबकि ये सब जिम्मेदारी नगर निगम व की है और पुलिस द्वारा बार बार संपर्क करने के बाद भी ये सम्बन्धित विभाग सुनने को तैयार नही जिससे नगर की स्तिथि दिन-ब-दिन और बुरी होती जा रही है। ऐसे में ये भी कहा जा सकता है कि हमारे शहर के सबसे बड़े दुश्मन हमारे ही शहर के वो छुटभैया नेता और अतिक्रमण वाले मार्गों के कुछ व्यापारी है जो अपने निजी स्वार्थ के कारण नगर की समस्यायों का समाधान करने की जगह उस समस्या को और अधिक बढ़ा रहे है।

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