कलयुग में पार्थिव शिवलिंग पूजन का विशेष महत्व: कथाव्यास आचार्य विकास जोशी, देखिए वीडियो
हरिद्वार। नया हरिद्वार वेल्फेयर सोसाइटी द्वारा हरिहर मंदिर मे अयोजित शिव महापुराण के द्वितीय दिवस पर श्रद्धालुओ ने कथा श्रवण कि कथा व्यास आचार्य विकास जोशी ने बताया कि शिव महापुरण श्रवण से सदाचार भक्ति और विवेक पुष्ट होता है।
कलयुग में कलूषित प्राणियों के लिए शिव महापुराण की कथा अमृत ओषधि है शिव लिंग की उत्पति के विषय मे बताते हुए कहा सबसे पहले अग्नि स्तम्भ के रूप मे शिवलिंग उत्पन्न हुआ जो आज अरुणाचलेश्वर् लिंग के रूप मे तमिलनाडु मे स्थित है । सबसे पहले शिवलिंग का पूजन चतुर्दशी से प्रारम्भ हुआ । भगवान् शिव को सभी तिथियों मे चतुर्दशी प्रिय है। शिव लिंग शिव सारूप है ओर पिंड्डी शक्ति स्वरुप। शिव लिंग पूजन विधि पर कहा की कलयुग मे पार्थिव शिव लिंग पूजन का विशेष मेहत्व है सतयुग मे मणी लिंग त्रेता मे स्वर्ण लिंग द्वापर मे परद लिंग ओर कलयुग मे पार्थिव लिंग की पूजा विशेष फलदाई है। शिवलिंग पर चढ़ा प्रसाद ग्राहीय नही होता ग्रहण नही करना चाहिए क्योकि उसमे अधिकार चांड का होता है । पात्र ओर कुपात्र का विचार अन्य वस्तु दान के लिए करना चाहिए परन्तु अन्न के दान के लिए पात्र विचार नही करना चाहिए किसी भूखे को भोजन अवश्य देना चाहिए किसी संकल्प की पूर्ति हेतु दान ब्राह्मण को करना चाहिए। कथा में नया वेल्फेयर सोसाइटी के अध्यक्ष श्याम बाबू शर्मा, महामंत्री राजीव त्यागी मुखिया पुजारी श्यालिकराम जोशी उपाध्यक्ष रमा, पार्षद मोनिका सैनी, सचिन बेनीवाल, सुभाष जगहड़, गोपाल शर्मा आदि उपस्थित रहे ।
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