कोटद्वार में फिर चर्चाओं में आया भाजपा नेता कैलाश थलेड़ी व जल संस्थान के अधिशासी अभियंता का मामला

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कोटद्वार। लगभग एक सप्ताह पूर्व कोटद्वार के भाजपा नेता कैलाश थलेड़ी व जल संस्थान के अधिशासी अभियंता एल.सी रमोला के बीच हुए विवाद में कई बातें सामने आ रही है, हालांकि सामने आ रही नई बातें सप्ताह भर पूर्व हुए विवाद से जुड़ी है ये भी स्पष्ट रूप से नही कहा जा सकता। दरअसल ज्यादातर सरकारी विभागों में यह नियम है कि विभाग के किसी भी कर्मचारी/अधिकारी को कोई भी करीबी रिश्तेदार को विभाग में टेंडर कार्य नही दिया जा सकता। प्रदेश सरकार सार्वजनिक निर्माण विभाग के टेंडर सम्बन्धी शासनादेश के बिंदु संख्या 9 में स्पष्ट रूप से लिखा है कि किसी भी टेंडर देने वाले को ऐसे मंडल/सर्किल में निर्माण कार्य देने की अनुमति नही दी जाएगी जहां उसका कोई निकट सम्बन्धी सार्वजनिक निर्माण विभाग की सेवा में नियुक्त हो। शासनादेश के अनुसार निकट सम्बन्धी में पिता, माता, भाई, बहन, बहनोई, लड़का, लड़की, सास, ससुर, दामाद व इसके अलावा स्वयं के लड़का, लड़की, पत्नी, पिता, माता, सास या ससुर के चचेरे भाई शामिल है। इस सम्बंध में कुछ समय पूर्व जल संस्थान में भाजपा नेता कैलाश थलेड़ी की संस्था “उत्तरांचल सांस्कृतिक कल्याण समिति” द्वारा “जल जीवन मिशन” के तहत कार्य मांगा गया था। जो अधिशासी अभियंता एल.सी रमोला द्वारा इस लिए नही दिया गया क्योंकि विभाग की उस शाखा में समिति के मुख्य कार्यकारी कैलाश थलेड़ी के भाई नरेंद्र थलेड़ी लेखाकार के पद पर कार्यरत है। हालांकि कोटद्वार थाने में हुए विवाद को लेकर भाजपा नेता कैलाश थलेड़ी का स्पष्ट कहना है कि जल संस्थान में कार्यरत मेरे भाई का बेवजह ट्रान्सफर कर दिया गया था जब वो कोटद्वार में वापस ट्रांसफर होकर आया तो उससे ये कहा जाता है कि तुम तीनो भाइयों को नेतागिरी करना भुला दूंगा, जब मामला आपके विभाग का है तो मुझे यानी बाहरी व्यक्ति को बेवजह अपशब्द क्यो कहे जा रहे है क्योकि मेरा तो इस विवाद से कोई मतलब ही नही था। और बेवजह मेरे लिए कहे गए अपशब्दों के कारण यह मामला एक सप्ताह पूर्व कोटद्वार कोतवाली पहुचा था इसके अलावा अन्य किसी मामले को इस विवाद से न जोड़ा जाए साथ ही कहा कि अधिशासी अभियंता एल.सी रमोला पर भी कई मामलों में जांच चल रही है लेकिन मुझे उस सब बातों से मतलब न होकर अपने लिए कही गयी बात से ही आपत्ति है। बहरहाल कोतवाली में पहुचे इस मामले के पीछे की सच्चाई जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगी।

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