कोरोना संक्रमितों के लिए संजीवनी लेकर आए चरक पैथोलॉजी के संचालक डॉ. योगेंद्र सिंह

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-प्लाज्मा थेरेपी शुरू हुई बिजनौर में, डॉ. अवधेश वशिष्ठ के यहां पहला प्रयोग रहा सफल

-कोटद्वार से बहुत कम दूरी पर है बिजनौर, कोटद्वार के मरीजों को देहरादून करना पड़ता है रूख
बिजनौर। कोविड 19 माहमारी की दूसरी लहर ने लोगों को चिंता में डाल दिया है। हर दिन कोविड 19 मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। ऐसे में डॉ. योगेंद्र सिंह कोरोना संक्रमितों के लिए संजीवनी के रूप में प्लाज्मा थेरेपी लाए हैं। प्लाज्मा थेरेपी का पहला प्रयोग भी सफल हो चुका है। कोविड 19 से जंग जीत कर आए एक व्यक्ति ने अपने भांजे को प्लाज्मा देकर उसकी जान बचाई है। कोविड 19 के लिए प्लाज्मा थेरेपी काफी लाभदायक साबित हुई है। अब तक बड़े महानगरों में इस थेरेपी से कोविड 19 मरीजों को उपचार किया जाता था, लेकिन अब महानगरों की तर्ज पर जनपद बिजनौर में भी इस थेरेपी को कोविड मरीजों की जान बचाने के लिए शुरू किया गया है। चरक पैथोलॉजी के संचालक डॉ. योगेंद्र सिंह वर्तमान में पुलकित मेमोरियल हॉस्पिटल के ब्लड बैंक के संचालक भी है। जनपद के कोविड मरीजों के लिए वह वरदान साबित हो रहे हैं। उनके प्रयासों से अब बिजनौर में भी कोविड मरीजों के लिए प्लाज्मा थेरेपी शुरू की गई है। मंगलवार से शुरू हुई इस थेरेपी का पहला प्रयोग शशांक भारद्वाज पर किया गया। जो कि पूरी तरह से सफल रहा। वरिष्ठ चिकित्सक अवधेश वशिष्ठ के अनुसार शशांक भारद्वाज पिछले पांच दिनों से बीमार थे। उनका ऑक्सीजन लेबल 86 तथा सीट स्केन स्कोर 18 था। जिसके बाद कोरोना से जंग जीतकर आए शशांक के मामा सुनील कुमार शर्मा ने अपना प्लाज्मा शशांक को दिया। जिसके बाद शशांक का ऑक्सीजन लेबर 93 हो गया।
क्या होता है प्लाज्मा
विशेषज्ञों के अनुसार, हमारे रक्त में रैड बल्ड सेल्स, व्हाइट बल्ड सेल्स और पीला तरल भाग मौजूद होता है। रक्त में मौजूद पीले तरल भाग को ही प्लाज्मा कहते है। इसका 92 फीसदी भाग पानी होता है। प्लाज्मा में पानी के अलावा प्रोटीन, ग्लूकोज मिनरल, हार्मोंस, कार्बन डाइआक्साइड मौजूद होते है। हमारे रक्त में तकरीबन 55 प्रतिशत प्लाज्मा मौजूद होता है।

क्या है प्लाज्मा थेरेपी
कायलसेंट प्लाज्मा थेरेपी को आम भाषा में प्लाज्मा थेरेपी भी कहा जाता है। इस थेरेपी की मदद से कोविड 19 से संक्रमित मरीजों का इलाज किया जाता है। इसमें स्वस्थ व्यक्ति के शरीर से प्लाज्मा निकाल कर संक्रमित व्यक्ति के शरीर में इंजेक्ट किया जाता है। प्लाज्मा में बीमारी से लड़ने के लिए एंटीबाडीज मौजूद होती है, जो रोगी को बीमारी से उबरने में मदद करती है।

कैसे काम करती है प्लाज्मा थेरेपी
जब कोविड संक्रमण से ठीक हुए व्यक्ति का प्लाज्मा संक्रमित व्यक्ति के शरीर में जाता है, तो प्लाज्मा में मौजूद एंटी बॉडीज ठीक उसी तरह बीमारी से लड़ती है। जैसे पहले लड़ी होती है। इससे संक्रमित व्यक्ति को बीमारी से उबरने में मदद मिलती है।

क्या कहते है डॉ. अवधेश वशिष्ठ
प्लाज्मा थेरेपी कोविड के मरीजाूें के लिए काफी लाभदायक थेरेपी है। डॉ. योगेंद्र सिंह के प्रयासों से जनपद में इस थेरेपी शुरू की गई है। इसका पहला सफल प्रयोग शशांक भारद्वाज पर किया गया है। अन्य मरीजों को भी इस थेरेपी से काफी लाभ मिलेगा। कोविड 19 से सही हुए व्यक्ति ज्यादा से ज्यादा अपना प्लाज्मा डोनेट कर दूसरे संक्रमितों की जान बचा सकते हैं।

क्या कहते है डॉ. योगेंद्र सिंह
प्लाज्मा थेरेपी से कोविड के मरीजों के लिए काफी कारगर है। इस थेरेपी से मरीजों की जान बचाई जा सकती है। इस थेरेपी में कोविड 19 संक्रमण से ठीक हुए व्यक्ति की जांच कराकर 15 दिन के बाद प्लाज्मा लिया जाता है। उस प्लाज्मा को कोविड के मरीज को चढ़ाया जाता है। जिससे मरीज की बिगड़ती हालत में काफी सुधार आता है। हमारी लोगों से अपील है कि वे मरीजों की जान बचाने के लिए अपना प्लाज्मा डोनेट करें।

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