30 को मनाया जाएगा रक्षाबंधन का त्यौहारः आचार्य विकास जोशी
हरिद्वार। पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी पंचांगो में रक्षाबंधन का त्यौहार दो दिन मानने के विषय में दर्शाया गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस वर्ष 30 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा तिथि के साथ भद्राकाल शुरू हो जाएगी। 30 अगस्त को भद्रा रात 9 बजकर 2 मिनट तक रहेगी। शास्त्रों के अनुसार भद्राकाल के दौरान रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं मनाया जाता है। राखी हमेशा ही भद्रा रहित काल में ही बांधना शुभ माना गया है।
आचार्य विकास जोशी ने कहा कि राखी बांधने के लिए श्रावण पूर्णिमा तिथि में दोपहर का समय सबसे शुभ समय होता है, लेकिन इस साल रक्षाबंधन के त्यौहार की श्रावण पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त से लग रही है। पूरे दिन भद्रा का साया रहेगा। इस तरह से 30 अगस्त को दिन के समय रक्षाबंधन का मुहूर्त नहीं है। 30 अगस्त को भद्रा रात 9 बजकर 2 मिनट तक रहेगी। ऐसे में 30 अगस्त को रात 9 बजकर 2 मिनट के बाद रक्षाबंधन मनाया जाएगा, जो की शास्त्र सम्मत है। 31 अगस्त को 7 बजे तक पूर्णिमा रहेगा, जो 4 महूर्त भी नहीं जा रही। सिंधु और भविष्य पुराण के अनुसार चतुर्दशी युक्त पूर्णिमा में तो रक्षाबंधन किया जा सकता है, लेकिन नंदा तिथि यानी प्रतिपदा युक्त तिथि में रक्षा बंधन नहीं मनाना चाहिए और कई पुराणों में तर्क यह भी दिया गया है कि अगर कम से कम 4 महूर्त भी अगर उदिया तिथि हो तो भी विचार किया जा सकता है, लेकिन इस कथन पर भी 31 अगस्त को रक्षा बंधन करना शास्त्र सम्मत नहीं है, क्योकि 2 महूर्त भी पूर्णिमा 31 को नहीं जा रही। अगस्त को रक्षा बंधन करना शास्त्र सम्मत है। इसलिए 30 अगस्त को ही रक्षाबंधन मनाया जाएगा। आचार्य विकास जोशी ने कहा कि अर्जुन के पूछने पर रक्षा बंधन का महत्व श्री कृष्ण ने बताया था कि विवाह का कांकन बंधन कुछ समय के लिए होता है। अन्य पूजा का कांकन बंधन कुछ समय के लिए होता है, लेकिन रक्षा बंधन में बंधा हुआ सूत्र पूरे वर्ष रक्षा के लिए होता है। इसलिए रक्षा बंधन पर अपने पुरोहित या बहन के पास जाकर रक्षा सूत्र भद्रा रहित काल में अवश्य बंधवाना चाहिए। रात्रि का कोई दोष नहीं है। जब विवाह जैसे कार्य में जीवन भर का बंधन लग्न अनुरूप रात्रि में कर सकते हैं तो रक्षा बंधन क्यो नहीं किया जा सकता है।
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