रूहानियत और इंसानियत का संदेश जनता तक पहुंचा रहा है निरंकारी मिशन, देखिये वीडियो

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-आर्य निवास पर आयोजित सत्संग में बोली ज्ञान प्रचारक संतोष माता जी

-संत महापुरुषों और भक्तों ने दी सुंदर भजनों की प्रस्तुति

हरिद्वार। जगजीतपुर स्थित मोहल्ला सगरा वाला में संत निरंकारी सत्संग का आयोजन किया गया। इस दौरान निरंकारी मिशन के संत महापुरुषों और भक्तों ने सुंदर भजनों की प्रस्तुति दी।

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आर्य निवास पर आयोजित सत्संग में ज्ञान प्रचारक संतोष माता जी ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि सद्गुरु माता सुदीक्षा महाराज समय की रहबर है। वह रूहानियत और इंसानियत दोनों के संग-संग का संदेश आम जनमानस तक पहुंचा रहे हैं। निरंकारी मिशन एक बहुत बड़ा मिशन है, जो सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर भाग लेता है, अपना अहम योगदान देता है। कहा कि प्यार गुलशन को सजाता है और नफरत वीरान करती है। सभी को आपस में भाईचारे के साथ रहना चाहिए। कहा कि जब सद्गुरु की कृपा से ब्रह्मज्ञान मिलता है, तब परमानंद प्राप्त होता है। लोकेश आर्य ने गुरु माता को नमन करते हुए कहा कि सद्गुरु माता सुदीक्षा महाराज हमारा बेड़ा पार कर रही हैं। हमें जो ब्रह्म ज्ञान मिला है। वह बहुत ही उच्च कोटि का है।
ब्रह्म ज्ञान प्राप्त होने के बाद हमें लख चौरासी के बंधन से मुक्ति मिल जाती है और सद्गुरु हमें भवसागर से पार कर देते हैं। अर्थात मोक्ष मिल जाता है, जो हमारा मुख्य लक्ष्य है। हम आवागमन के चक्र से मुक्त हो जाते हैं। संसार के माया मोह में नहीं फंसना है। हमें तो केवल माया के स्वामी इस निरंकार परमात्मा का ध्यान करना है। निरंकार का साकार रूप सद्गुरु होते हैं। मनुष्य के अंदर अहंकार नहीं होना चाहिए। जब मैं था, तब हरि नहीं। अब हरि हैं, मैं नही। ईश्वर अंश, अजर, अविनाशी, आत्मा का पति परमात्मा होता है। रूबी आर्य ने कहा कि अपनी सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज के वचनों को मानकर भक्ति करनी है। जितने उनके वचन आ रहे हैं, सभी को मानना है और जब हम अपने सद्गुरु के वचनों को मानकर भक्ति करेंगे, तो हमारा बेड़ा पार होगा। गुरमत हमें उधार देती है और मन्मथ हमें डुबो देती है। इसीलिए हमेशा गुरु मत में रहना चाहिए। जीवन बहुत सरल और सहज है। इसके अलावा जहां नारी का सम्मान होता है। वहां लक्ष्मी का वास होता है। हमेशा मातृशक्ति नारी जाति का सम्मान करना चाहिए। हमेशा सेवा सत्संग सुमिरन करते रहना चाहिए। सेवा सत्संग सुमिरन के संगम से भक्ति होती पूरी है, वरना अधूरी की अधूरी है। सत्संग आयोजन में जनेश्वर दास, सुनीता अरोड़ा, संतली, दीक्षा, सुदेशना, विमला, प्रतिभा, सुगंधा, सुषमा, कौशल, लीला, सुनीता, अंजना, सुजाता, जानकी, शकुंतला, मेनकला आदि उपस्थित रहे।

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