लेडी सिंघम का दर्जा: जनता की नजर में कार्रवाई, लेकिन चलता रहेगा पर्चा, खानापूर्ति बनती जा रही एफडीए की कार्रवाई, सील होने के कुछ घंटों बाद खुली दुकान

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ऋषिकेश और हरिद्वार के औषधि विक्रेताओं पर एफडीए ने की थी छापेमारी की कार्रवाई

खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन को मिली थी गंभीर अनियमितताएं

हरिद्वार की पांच फर्मों के लाइसेंस निरस्त और दो फर्मां पर दवा बिक्री पर लगाई थी एफडीए ने रोक

देहरादून। स्वास्थ्य विभाग भले ही बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए सुर्खियां बटोर रहा हो, लेकिन हरिद्वार में एफडीए की ओर से की गई कार्रवाई गले से नीचे नहीं उतर पा रही है, क्योंकि लेडी सिंघम का जलवा बरकार है। बीते रोज हरिद्वार की पांच फर्मों के लाइसेंस निरस्त और दो फर्मों की दवा बिक्री पर एफडीए ने रोक लगाई थी, लेकिन 24 घंटे बाद ही जिम्मेदार अधिकारी की उपस्थिति में खोल दिया गया, जिससे एफडीए की ओर से की गई कार्रवाई जनता के बीच सवालों के घेरे में आ गई है।

आपको बताते चले कि प्रदेश सरकार नकली और सब स्टेंडर्ड दवाओं की खरीद और बिक्री करने वाली कंपनियों और प्रतिष्ठानों के खिलाफ अभियान चला रही है। इस अभियान के तहत बीते गुरुवार को खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) की क्विक रिस्पांस टीमों ने ऋषिकेश और हरिद्वार के नौ औषधि विक्रेता फर्मों का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान टीम को कई औषधि विक्रेताओं के यहां गंभीर अनियमितताएं पाई गई। इस आधार पर एफडीए ने चार जनऔषधि केंद्रों और एक अन्य औषधि विक्रेताओं के प्रतिष्ठानों पर खरीद-बिक्री पर रोक लगा दी थी और इनके लाइसेंस निरस्त करने की संस्तुति कर दी थी। इसके अलावा दो अन्य प्रतिष्ठानों पर दवा की खरीद-बिक्री पर रोक लगा दी थी, लेकिन यह रोक हरिद्वार में कुछ घंटों ही चल पाई और जिम्मेदार महिला अधिकारी ने दुकान को खुलवा दिया। हालांकि स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों का कहना है कि कार्रवाई तो हुई है, लेकिन दुकानों को बंद नहीं कराया जा सकता है।

इस मामले में खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन के आयुक्त डॉ. आर राजेश कुमार ने बताया कि विभाग की ओर कार्रवाई की गई है, जिन जन औषधि केंद्रों को सील करने के निर्देश दिए गए थे, वह औषधि केंद्र बंद नहीं कराए जा सकते हैं, उन औषधि केंद्रों को भले ही खुलवा दिया गया हो, लेकिन उनके खिलाफ कार्रवाई जारी रहेगी।

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