बेनतीजा रही हड़ताली विद्युत कर्मचारियों की शासन प्रशासन से वार्ता, कभी भी हो सकती है बत्ती गुल

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देहरादून। हड़ताल पर गए विद्युत कर्मचारियों की शासन प्रशासन से वार्ता अभी तक बेनतीजा साबित हुई। परिणाम स्वरूप विगत मध्यरात्रि से प्रदेश भर के करीब 3500 से ज्यादा कर्मचारी हड़ताल पर चले गए। बिजली आपूर्ति बाधित होने के आसार बन गए हैं। क्योंकि कर्मचारी कह चुके हैं कि हड़ताल के दौरान वे किसी फाल्ट को दुरुस्त नहीं करेंगे, विद्युत उपभोक्ताओं को हड़ताल के चलते मानसिक रूप से तैयार रहना होगा। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी की ये बड़ी परीक्षा का भी समय है , क्योंकि आवश्यक सेवाओं वाले विभाग के कर्मचारी यदि हड़ताल पर चले जाएं तो स्थिति विकट हो सकती है। एसीपी की पुरानी व्यवस्था की बहाली, समान काम के लिए समान वेतन, उपनल के माध्यम से कार्य कर रहे कार्मिकों के नियमितीकरण, ऊर्जा निगमों में इंसेंटिव एलाउंस का रिवीजन समेत 14 सूत्रीय मांगों को लेकर शासन के साथ विगत देर रात्रि तक वार्ता के बावजूद समाधान की राह नहीं निकली।
शासन ने मांगों को मानने के लिए मंगलवार को होने वाले कैबिनेट बैठक में प्रस्ताव रखने का भरोसा भी दिया, लेकिन कार्मिकों ने इसे नाकाफी माना। मोर्चा के आह्वान पर हड़ताल मध्य रात्रि से प्रारंभ हो गई है। वार्ता में मोर्चा के संरक्षक इंसारुल हक, उत्तराखंड ऊर्जा कामगार संगठन के प्रांतीय अध्यक्ष राकेश शर्मा, दीपक बेनवाल, कार्तिकेय दुबे, अमित रंजन, डीसी ध्यानी, जेसी पंत समेत करीब 13 संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
इंसारुल हक के मुताबिक हड़ताल के चलते जलविद्युत परियोजनाओं में उत्पादन प्रभावित होना शुरू हो गया है। बिजलीघरों को जैसे हैं, उसी हालत में छोड़कर कर्मचारी बाहर निकल गए हैं। बिजली आपूर्ति सुचारु रहेगी, लेकिन किसी फाल्ट की वजह से बंद हुई तो उसे ठीक नहीं किया जाएगा।

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