शाबाश: पुलिस ब्रीफिंग में गरजी रेट्रो साइलेंसर वाली पुलिसकर्मियों की बुलेटों पर कार्रवाई शून्य, जनता पर सख्ती जारी, यह हुई थी वायरल वीडियो

–थाना क्षेत्रों में अभियान के तहत रेट्रो साइलेंसर लगी बुलेटों पर लगातार जारी है कार्रवाई
–गंगनहर पुलिस ने एमवी एक्ट में तीन बुलेट सीज कीं, वीडियो वायरल होने के बाद भी पुलिसकर्मियों पर कार्यवाही नहीं
खबर डोज, हरिद्वार। हाल ही में स्नान को शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न कराने की समीक्षा बैठक ऋषिकुल ऑडिटोरियम में की गई थी। एसएसपी और डीएम की मौजूदगी में यह ब्रीफिंग खासा चर्चित रही। चर्चा का कारण सुरक्षा रणनीति नहीं, बल्कि वही पुलिसकर्मी बने, जो ब्रीफिंग में खुद रेट्रो साइलेंसर लगी बुलेटों पर सवार होकर पहुंचे थे। जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया।
वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि जिन वाहनों पर आम जनता के खिलाफ हर रोज एमवी एक्ट में कार्रवाई की जा रही है, लेकिन मित्र पुलिस सीधे तौर पर “हम नहीं सुधरेंगे, लेकिन सबको सुधारेंगे की कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं।

वीडियो सामने आने के बाद लोग सोशल मीडिया पर पुलिस की दोहरी नीति पर सवाल उठा रहे हैं। नागरिकों का कहना है कि आम जनता को तो जुर्माना और वाहन सीज, मगर वर्दी वालों की गलती पर कार्यवाही का ग्राफ “शून्य” क्यों?
जनता पर कड़ाई जारी, पुलिस पर नरमी!
रेट्रो साइलेंसर की तेज गड़गड़ाहट से शहर का माहौल प्रभावित होता है, इसलिए पुलिस ने दिन-रात अभियान चलाकर ऐसे वाहनों पर शिकंजा कसना शुरू किया है, लेकिन आश्चर्य यह कि ब्रीफिंग में शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ कई दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक कोई विभागीय कार्रवाई नहीं की गई है।

सोशल मीडिया यूजर्स लगातार यह सवाल उठा रहे हैं कि “कानून सबके लिए बराबर कब होगा?”
अभियान के तहत गंगनहर थाना पुलिस ने तीन बुलेटों को एमवी एक्ट के तहत सीज किया है।
1️⃣ बुलेट रजिस्ट्रेशन नम्बर — UK17Q-5979
2️⃣ बुलेट रजिस्ट्रेशन नम्बर — UK17M-8949
3️⃣ बुलेट रजिस्ट्रेशन नम्बर — UK08AR-7626
जनता का सवाल: “पहले खुद सुधरो फिर जनता को सुधारो”
वायरल वीडियो से पैदा हुई यह बहस अब सड़क से सोशल मीडिया तक फैल चुकी है। लोग पूछ रहे हैं —
➡ “जब पुलिसकर्मी ही नियम तोड़ते दिखें तो जनता से उम्मीद कैसे?”
➡ “कानून व्यवस्था की छवि को खराब कौन कर रहा है?”
अब देखना यह है कि उच्च अधिकारी इस मामले का संज्ञान लेकर वर्दीधारियों पर भी समान कार्रवाई करते हैं या मामला फाइलों में दब कर रह जाएगा।

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