ओवररेटिंग की शिकायतों के बाद आबकारी मुख्यालय से जारी हुआ नया फरमान, इंस्पेक्टर करेंगे एक दूसरे के क्षेत्रों का मूल्यांकन

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-समरवीर सिंह बिष्ट को मिली कोटद्वार की जिम्मेदारी

-कोटद्वार के ठेकों पर बंद नहीं हो रहा ओवररेटिंग का खेल

कोटद्वार। कोटद्वार में आबकारी विभाग चैन की नींद सो गया है। विभागीय लापरवाही के चलते ठेका संचालकों के हौसले बुलंद हैं। सभी ठेकों से लगातार आ रही ओवररेटिंग की उपभोक्ताओं की शिकायत के बाद भी आबकारी विभाग कोई एक्शन नहीं ले रहा है।

उधर, कई जिलों से लगातार आ रही ओवररेटिंग की शिकायत के बाद आबकारी आयुक्त ने इस पर रोक लगाने के लिए नई व्यवस्था बना दी है, नई व्यवस्था कितनी कारगर साबित होती है, ये आने वाला समय बताएगा।

स्टेशन रोड स्थित अंग्रेजी शराब की दुकान में ओवररेटिंग का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। यहाँ 135 रुपए मूल्य की बियर 150 रुपए में बेचकर ओवररेटिंग की जा रही है। यह कोई नया मामला नहीं है। इस संबंध में आबकारी विभाग को कई बार सूचित किया गया, लेकिन उसके बाद भी कोई कार्रवाई अमल में नहीं जा रही है। शिकायत किए जाने के बाद भी ठेका संचालकों के विरुद्ध कोई कार्रवाई न होने से कोटद्वार आबकारी निरीक्षक की कार्यप्रणाली भी सवालों के घेरे में आ खड़ी हुई है।

हाल ही कोटद्वार निवासी नितिन अग्रवाल ने आबकारी अधिकारी कोटद्वार को लिखे पत्र में कहा कि स्टेशन रोड स्थित शराब की दुकान में हमेशा ओवर रेटिंग की शिकायत रहती है, लेकिन संबंधित अधिकारी कोई भी कार्रवाई अमल में नहीं लाते हैं, जिससे उपभोक्ताओं को परेशान होना पड़ता है।

उधर, लगातार आ रही ओवर रेटिंग की शिकायतों के बाद आबकारी आयुक्त हरिचंद सेमवाल ने ओवररेटिंग पर रोकने लगाने के लिए नई व्यवस्था बना दी है। जिसमें इंस्पेक्टर एक दूसरे के क्षेत्र का मूल्यांकन करते हुए रिपोर्ट मुख्यालय को सौंपेंगे। आबकारी निरीक्षक भरत प्रसाद को पौड़ी गढ़वाल के यमकेश्वर, संजय रावत टिहरी गढ़वाल की कीर्तिनगर और पौड़ी जनपद के थलीसैण, रविंद्र डिमरी को रुद्रप्रयाग, ज्योति वर्मा टिहरी गढ़वाल क्षेत्र एक, ओमप्रकाश चमोली क्षेत्र एक और क्षेत्र तीन जोशीमठ, विजेंद्र भंडारी उत्तरकाशी, खजान सिंह कर्णप्रयाग, सरोज पाल नरेंद्रनगर, समरवीर सिंह बिष्ट को कोटद्वार की व्यवस्था जांचने की जिम्मेदारी सौंप गई है।

जिससे गढ़वाल मंडल के पर्वतीय क्षेत्रों में ओवर रेट की शिकायतों को देखते हुए आगे कार्रवाई अमल में लाई जा सके। लगातार ओवर रेटिंग के चलते विभाग की छवि भी धूमिल हो रही है, जिससे लोगों में भी इसका गलत संदेश जा रहा है।

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