सभी संतों को बोलने का अधिकार, अखाड़ा परिषद पर किसी एक व्यक्ति का स्थायी अधिकार नहीं: बोले स्वामी रूपेंद्र प्रकाश, वीडियो वायरल

खबर डोज, हरिद्वार। अखाड़ा परिषद संबंधी विवादों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश महाराज ने कहा कि वह अपने पद की गरिमा के अनुरूप ही अपनी बात रख रहे हैं और एक जिम्मेदार संत होने के नाते अपने वक्तव्य पर पूरी तरह कायम हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि अखाड़ा परिषद पर किसी एक व्यक्ति का स्थायी अधिकार नहीं, यह एक टेंपररी बॉडी होती है, जिसका गठन विशेष रूप से कुंभ के आयोजन के लिए किया जाता है।
स्वामी रूपेंद्र प्रकाश ने कहा कि अखाड़ा परिषद का गठन सन्यासी अखाड़ों सहित बैरागी, उदासी और निर्मल परंपराओं के प्रतिनिधित्व के साथ होता है। उन्होंने बताया कि परिषद के पदाधिकारियों का चयन क्रमबद्ध रूप से होता है और अध्यक्ष पद स्थायी नहीं है। समय-समय पर विभिन्न अखाड़ों के प्रमुख इस पद पर निविष्ट होते रहे हैं, इसलिए इसे किसी व्यक्तिगत अधिकार या स्थायी सत्ता के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
उन्होंने वर्तमान अखाड़ा परिषद अध्यक्ष रवींद्र पुरी पर व्यक्तिगत टिप्पणी से बचते हुए कहा कि यह विषय अखाड़ों का है और संत अपनी बात कहने का पूरा अधिकार रखते हैं। किसी भी संत की अभिव्यक्ति को व्यक्तिगत रूप से लेकर विवाद बढ़ाने के बजाय, उसे धार्मिक व्यवस्थाओं और परंपराओं के संदर्भ में समझा जाना चाहिए।
कहा कि अखाड़ा परिषद में पदाधिकारी व्यवस्था संभालते हैं, लेकिन संतों के बोलने पर रोक लगाने का कोई प्रावधान नहीं है। उन्होंने कहा कि किसी भी आवाज उठाने या प्रश्न पूछने को सनातन विरोधी करार देना गलत परंपरा है।
उन्होंने संतों और समाज से अपील की कि परंपराओं का सम्मान किया जाए, संवाद को सकारात्मक दिशा में रखा जाए और अखाड़ों के विषयों पर गंभीरता से विचार किया जाए, न कि व्यक्तिगत हमलों के रूप में देखा जाए।

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