श्रीनगर गढ़वाल से बड़ी खबर: इकलौते पुत्र मोहन नैथानी की मौत के सदमे को नही सह पाये प्रसिद्ध इतिहासकार प्रो. शिव प्रसाद नैथानी, हुआ निधन

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श्रीनगर। इकलौते पुत्र मोहन की नैथानी की मौत के मात्र 20 दिन बाद ही 87 वर्षीय पिता प्रसिद्ध इतिहासकार प्रो. शिव प्रसाद नैथानी भी चल बसे। उनके निधन पर विभिन्न संगठनों ने शोक जताया है। सोमवार देर रात को प्रसिद्ध इतिहासकार प्रो. शिव प्रसाद नैथानी ने भक्तियाना स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली।
प्रो. नैथानी का जन्म 1 जनवरी 1934 को पौड़ी जनपद के बिलखेत (मनारस्यूं) में हुआ था। आगरा विवि से एमए करने के बाद नैथानी ने गढ़वाल विवि से डी फिल की उपाधि ग्रहण की थी। इसके बाद 1954 में डॉ. नैथानी ने जीआईसी श्रीनगर में इतिहास के प्रवक्ता पर पर तैनाती ली। 1977 से 1994 तक डॉ. नैथानी ने गढ़वाल विवि में अध्यापन किया। नैथानी गढ़वाल विवि में इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष भी रहे। प्रो. नैथानी ने सेवाकाल के दौरान उत्तराखंड इतिहास पर केंद्रित अनेक शोधपरक पुस्तकें लिखी हैं। इन्होंने गढ़वाल के संस्कृत अभिलेख, उत्तराखंड: संस्कृति, साहित्य और पर्यटन, गढ़वाल के प्रमुख तीर्थ और मंदिर, उत्तराखंड के तीर्थ और मंदिर, उत्तराखंड, श्रीक्षेत्र, श्रीनगर उत्तराखंड का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक भूगोल (उत्तराखंड सरकार द्वारा स्वीकृत), ब्रहमपुर और सातवीें सदी का उत्तराखंड, उत्तराखंड सांस्कृतिक इतिहास भाग एक उत्तराखंड गढ़वाल का जनजीवन भाग एक, भाग दो इन पुस्तकों का लेखन किया। इन पुस्तकों के माध्यम से प्रो. नैथानी उत्तराखंड के तीर्थ व मंदिर, गढ़वाल क्षेत्र के संस्कृत अभिलेख, उत्तराखंड का संस्कृति साहित्य व पर्यटन को आम जन के बीच में लाए। युवा साहित्यकार कमल रावत बताते हैं कि प्रो. नैथानी को गढ़वाल की संस्कृति व इतिहास का बहुत बारीकी से ज्ञान था। कमल कहते हैं कि प्रो. नैथानी गढ़वाल के इतिहास का एक चलता फिरता एनसाइक्लो पीडिया थे। उन्होंने मुझे स्थानीय संस्कृति व इतिहास के क्षेत्र में लिखने के लिए कुछ जिम्मेदारी दी थी। दुख इस बात का है कि मैं उनकी दी हुई जिम्मेदारी पूरी करता, उससे पहले ही वह हमें छोड़कर चले गए। मंगलवार को प्रो. नैथानी का अंतिम संस्कार अल्केश्वर घाट पर किया गया। इस दौरान शहर के गणमान्य मौजूद रहे। प्रो. नैथानी के इकलौते बेटे मोहन नैथानी का भी बीते पांच मई को देहांत हो गया था। बेटे की मौत से लगे सदमें को प्रो. नैथानी सह नही पाए और 20 दिन बाद स्वयं भी दु़निया से विदा हो गए। प्रो. नैथानी के देहांत पर उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डा. धन सिंह रावत, प्रजमं के अध्यक्ष अनिल स्वामी, हिमालय कला परिषद के अध्यक्ष नीरज नैथानी, गढ़वाल विवि शिक्षणेत्तर कर्मचारी परिषद के पूर्व अध्यक्ष नरेश खंडूड़ी, प्रदीप मल्ल आदि ने गहरा शोक व्यक्त किया है।

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