कोटद्वार पुलिस का कारनामा, पीड़ित ने 11 महीने काटे चक्कर, फिर हुआ मुकदमा दर्ज
कोटद्वार। भले ही पीड़ितों को न्याय देने में उत्तराखंड मित्र पुलिस भूमिका बेहतर हो, लेकिन पौड़ी पुलिस न्याय दिलाने के नाम पर पीड़ितों को कोतवाली के चक्कर लगवा रही है। लगभग 11 माह पहले कोटद्वार पौड़ी राष्ट्रीय राजमार्ग पर हुई कार दुर्घटना के मामले में मृतक महिला के पति ने पुलिस को तहरीर दी थी। लेकिन इसके बाद पुलिस ने राजस्व का और राजस्व पुलिस ने राष्ट्रीय राजमार्ग का मामला बताते हुए पीड़ित की तहरीर दर्ज नहीं की।
अब उच्चाधिकारियों के निर्देश पर 11 माह बाद कोतवाली पुलिस ने मृतक महिला के पति की तहरीर पर शिक्षक जयवीर सिंह के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। दुर्घटना में दो शिक्षिकाओं और एक शिक्षक की मौत हो गई थी जबकि दो अन्य लोग घायल हो गए थे। पिछले वर्ष फरवरी माह में शिक्षक जयवीर सिंह रावत अपनी कार में चार अन्य शिक्षकों को लेकर जीआईसी सारी जा रहे थे। इस दौरान दुगड्डा और गूमखाल के बीच क्रैंखाल में एक मोड़ पर कार अनियंत्रित होकर खाई में जा गिरी थी। दुर्घटना में वंदना भंडारी (36) पत्नी नरेंद्र सिंह भंडारी, पूनम रावत (42) पत्नी प्रद्युमन सिंह दोनों निवासी मानपुर कोटद्वार और दीपक शाह (35) पुत्र उत्तम सिंह निवासी शिवपुर कोटद्वार की मौके पर ही मौत हो गई थी। जबकि कार चालक जयवीर सिंह रावत निवासी रतनपुर सुखरो और अरुण कुमार सैनी निवासी सतेंद्र नगर कौड़िया घायल हो गए थे।
मृतक शिक्षिका वंदना भंडारी के पति नरेंद्र भंडारी ने कोतवाली पुलिस को तहरीर दी थी जिसमें उन्होंने वाहन चालक पर लापरवाही से वाहन चलाने का आरोप लगाया था लेकिन तब पुलिस ने घटना क्षेत्र लैंसडौन थाने का बताते हुए मुकदमा दर्ज नहीं किया था। बताया कि जब वह लैंसडौन थाने गए तो वहां की पुलिस ने राजस्व क्षेत्र की घटना बताते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया।
राजस्व पुलिस ने भी हाईवे की घटना बताते हुए मुकदमा दर्ज नहीं किया। वह पिछले 11 माह से मुकदमा दर्ज कराने के लिए रेगुलर और राजस्व पुलिस के चक्कर काट रहे थे। इस संबंध में उन्होंने पुलिस के उच्चाधिकारियों को पत्र भेजे थे। पुलिस के मुताबिक अब मामले में आरोपी वाहन चालक जयवीर सिंह रावत के खिलाफ संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।
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