कोटद्वार आमपड़ाव में सेना की भूमि का सीमांकन जल्द, पैमाइश हुई शुरू

खबर डोज, कोटद्वार। शहर में आर्मी के एमटी कैंप एवं सीएसडी कैंटीन से सटी सेना की भूमि को लेकर लंबे समय से बने विवाद पर अब प्रशासन ने कार्रवाई तेज कर दी है। सेना की भूमि की पैमाइश एवं सीमांकन का कार्य शुरू कर दिया गया है। यह भूमि अवैध अतिक्रमण की श्रेणी में आ गई थी, जिसे लेकर नगर निगम, राजस्व विभाग और रक्षा संपदा कार्यालय के अधिकारियों की मौजूदगी में नापजोख की जा रही है।
जानकारी के अनुसार वर्ष 1958 में नगर पालिका ने सेना से 2.08 एकड़ भूमि लीज पर ली थी। बताया जा रहा है कि वर्ष 1977 के बाद इस भूमि की लीज का नवीनीकरण नहीं किया गया। इसके बावजूद वर्षों तक इस भूमि का उपयोग होता रहा, जिस पर अब सवाल खड़े हुए हैं। रक्षा संपदा कार्यालय देहरादून के अधिकारियों के अनुसार सेना के मानचित्र के आधार पर भूमि की पैमाइश की जा रही है और संबंधित विभाग द्वारा सीमांकन का कार्य जल्द पूरा किया जाएगा।
पूर्व सैनिक संगठन एवं सामाजिक संस्थाओं ने भी इस मामले को गंभीरता से उठाया था। मिशन सांस्कृतिक कोटद्वार संस्था के संयोजक एवं पूर्व सैनिक सुनील बहुगुणा ने रक्षा संपदा कार्यालय देहरादून, सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित गढ़वाल राइफल्स के वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र भेजकर सेना की भूमि से अतिक्रमण हटाने की मांग की थी। उनका कहना था कि 1958 में सेना की कुल 7.55 एकड़ भूमि में से 2.08 एकड़ नगर निगम को लीज पर दी गई थी, लेकिन लीज अवधि समाप्त होने के बाद भी भूमि वापस नहीं की गई।
दस्तावेजों के अनुसार, वर्ष 1977 के बाद लीज का नवीनीकरण नहीं हुआ। इसके बावजूद तत्कालीन नगर पालिका प्रशासन ने लीज की भूमि में से 0.58 एकड़ भूमि राजकीय प्राथमिक विद्यालय नंबर–2, नगर क्षेत्र को दे दी। शेष भूमि को सेना को लौटाने के बजाय नजूल भूमि के रूप में दर्शाकर खरीद–फरोख्त का प्रयास किया गया, जो नियमों के विपरीत बताया जा रहा है।
राजस्व विभाग का कहना है कि यह मामला नगर पालिका और रक्षा संपदा कार्यालय के बीच का है। वहीं रक्षा संपदा कार्यालय के अधिकारियों का कहना है कि सीमांकन से स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो जाएगी। इस प्रक्रिया से न केवल सेना की भूमि की वास्तविक स्थिति सामने आएगी, बल्कि आर्मी कैंप की सुरक्षा को लेकर बनी संवेदनशीलता भी दूर होगी।
प्रशासन का दावा है कि सीमांकन रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी और यदि कहीं अवैध अतिक्रमण पाया गया तो उसे हटाने के लिए नियमानुसार कदम उठाए जाएंगे। कोटद्वार में इस कार्रवाई को लेकर स्थानीय लोगों और पूर्व सैनिकों की नजरें प्रशासन के अगले निर्णय पर टिकी हुई हैं।

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