डॉ. स्वामी मोद नारायणा चार्य महाराज चुने गए रामानुज कोट आश्रम के महंत
विश्व भर में भारत को महान बनाती है संत परंपरा- जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी कृष्णाचार्य
हरिद्वार। रामानुज कोट आश्रम के पीठाधीश्वर साकेतवासी जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी शेषनारायणाचार्य महाराज का श्रद्धांजलि समारोह संत महापुरुषों के सानिध्य में श्रद्धापूर्वक मनाया गया। कार्यक्रम के दौरान डॉ स्वामी मोदनारायणाचार्य महाराज को रामानुज कोट आश्रम का उत्तराधिकारी चुना गया। सभी संत महापुरुषों ने उन्हें तिलक चादर भेंट कर महंताई प्रदान की। भूपतवाला स्थित रामानुज कोट आश्रम में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी कृष्णाचार्य महाराज ने कहा कि अनादि काल से संत महापुरुष विश्व का मार्गदर्शन करते आ रहे हैं। संत परंपरा विश्व भर में भारत को महान बनाती है। साकेत वासी जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी शेषनारायणाचार्य महाराज विलक्षण प्रतिभा के धनी संत थे। संत समाज के इतिहास में उनका नाम अमर रहेगा। आचार्य बेला इंडिया टेंपल पीठाधीश्वर जगतगुरु स्वामी श्यामनारायणाचार्य महाराज ने कहा कि डॉ स्वामी मोदनारायणाचार्य महाराज ऊर्जावान संत है। उनके नेतृत्व में रामानुज कोट आश्रम भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म के प्रचार प्रसार में नए आयाम रचेगा। युवराज स्वामी दिव्यांश वेदांती महाराज ने कहा कि संतों का जीवन निर्मल जल के समान होता है। जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी शेषनारायणाचार्य महाराज के उत्तराधिकारी के रूप में डॉ स्वामी मोदनारायणाचार्य आश्रम से संचालित सेवा प्रकल्पों में निरंतर वृद्धि कर समाज कल्याण में अपनी सहभागिता को सुनिश्चित करेंगे। हम सभी उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं। कार्यक्रम में पधारे सभी संतो का आभार व्यक्त करते हुए नवनियुक्त महंत डॉ स्वामी मोदनारायणाचार्य महाराज ने कहा कि जो दायित्व उन्हें संत समाज ने सौपा है। उसका वह पूरी निष्ठा के साथ निर्वहन करेंगे। उन्होंने कहा कि संतों की सेवा करते हुए धर्म और संस्कृति का प्रचार प्रसार करना ही उनके जीवन का मुख्य लक्ष्य होगा। जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी मधुसूधनाचार्य जियर एवं बाबा हठयोगी महाराज ने कहा कि संतों का जीवन समाज कल्याण के लिए समर्पित रहता है। महापुरुषों ने सदैव समाज का मार्गदर्शन कर नई दिशा प्रदान की है। इस अवसर पर महामंडलेश्वर स्वामी हरीचेतनानंद, पूर्व पालिकाध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी, महंत शिवानंद, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी हरिहरानंद, महंत मोहन सिंह, महंत तीरथ सिंह, महंत दिनेश दास, स्वामी कामेश्वर पुरी, स्वामी माधवाचार्य, स्वामी भरताचार्य, मनोज महंत, महंत सूरज दास, महंत अरुण दास, लक्ष्मी त्रिपाठी, मुकुल कुमार, महंत शुभम गिरी सहित कहीं संत महापुरुष उपस्थित रहे।
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