हरिद्वार के बैरागी द्वीप में वसुधा वंदन समारोह के साथ शताब्दी वर्ष का भव्य शुभारंभ

–अखंड ज्योति, अखंड भारत और धर्म-जागरण की प्रतीक : राज्यपाल
–भारतीय संस्कृति गुरु-शिष्य परंपरा पर आधारित : जगद्गुरु शंकराचार्य
–विश्व समुदाय के लिए सौभाग्य की त्रिवेणी : डॉ. चिन्मय पण्ड्या
खबर डोज, हरिद्वार। राजा दक्ष की नगरी कनखल स्थित बैरागी द्वीप में अखिल विश्व गायत्री परिवार के शताब्दी वर्ष का उद्घाटन वसुधा वंदन समारोह के साथ हुआ। हजारों स्वयंसेवकों, संतों और प्रबुद्धजनों की उपस्थिति में उत्तराखंड के राज्यपाल ले. जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.) तथा गायत्री परिवार के युवा प्रतिनिधि डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने 51 तीर्थों से संग्रहीत पवित्र रज-जल का पूजन कर शताब्दी वर्ष का श्रीगणेश किया। समारोह में अध्यात्म, संस्कृति, सेवा और पर्यावरण चेतना का अद्भुत संगम देखने को मिला।

यह शताब्दी समारोह परम वंदनीया माताजी के जन्म के 100 वर्ष, अखंड दीप प्रज्वलन के 100 वर्ष और परम पूज्य गुरुदेव पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य की तप-साधना के 100 वर्ष के पावन अवसर को समर्पित है। इस अवसर पर उपस्थित जनसमूह ने विश्व मैत्री, सांस्कृतिक एकता और पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया।

मुख्य अतिथि राज्यपाल ले. जनरल गुरमीत सिंह ने कहा कि अखंड ज्योति केवल एक दीप नहीं, बल्कि अखंड भारत की भावना और धर्म-जागरण की चेतना का प्रतीक है। इसकी ज्योति सत्य, नैतिकता और एकता का संदेश देती है। उन्होंने कहा कि “हम बदलेंगे, युग बदलेगा” का मंत्र समाज को भीतर से परिवर्तित करने की प्रेरक शक्ति है। राज्यपाल ने कहा कि गायत्री परिवार की सेवा-केन्द्रित कार्यशैली और समाज में स्वच्छता, अनुशासन तथा नैतिक उन्नयन की संस्कृति राष्ट्र निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने स्वयंसेवकों की निष्ठा और अनुशासन की विशेष प्रशंसा की।

समारोह की अध्यक्षता करते हुए जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वराश्रम ने कहा कि भारतीय संस्कृति की जड़ें गुरु-शिष्य परंपरा में निहित हैं। गुरु बाहर से थपकी और भीतर से सहारा देकर शिष्य को आकार देता है। उन्होंने कहा कि माता-पिता, गुरु और ईश्वर—ये तीनों सनातन संस्कृति की एक ही धारा हैं। गायत्री परिवार ने इन मूल्यों को जीवन में उतारकर समाज और अध्यात्म को नई दिशा प्रदान की है। उन्होंने कहा कि पूज्य माताजी की भूमिका और उनकी तप-साधना का अनुभव उन्होंने स्वयं किया है।
शताब्दी समारोह दलनायक डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि शताब्दी वर्ष विश्व समुदाय के लिए सौभाग्य की त्रिवेणी का संगम लेकर आया है। उन्होंने कहा कि वंदनीया माताजी नारी जागरण और नारी स्वाभिमान की परम प्रेरणा थीं। उन्होंने शिक्षा, संस्कार और सेवा के माध्यम से नारी को सामर्थ्य प्रदान किया। डॉ. पण्ड्या ने बताया कि पिछले एक माह से हजारों स्वयंसेवक स्थल व्यवस्था, मार्ग सज्जा, स्वच्छता और संरचना निर्माण की तैयारियों में जुटे थे। उन्होंने शताब्दी समारोह के कार्यक्रमों और उद्देश्यों की विस्तृत जानकारी दी।
समापन से पूर्व डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने सभी विशेष अतिथियों को गायत्री मंत्र चादर, रुद्राक्ष माला और पूज्य गुरुदेव का साहित्य भेंटकर सम्मानित किया। इस दौरान जगद्गुरु शंकराचार्य, राज्यपाल और डॉ. पण्ड्या ने कार्यकर्ता पाथेय पुस्तक का विमोचन भी किया।
कार्यक्रम में विधायक मदन कौशिक, उत्तर प्रदेश के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह, राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश, व्यवस्थापक योगेंद्र गिरि, भाजपा के प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी, शिक्षाविद और जिला प्रशासन के कई अधिकारी उपस्थित रहे। समारोह का पूरा परिसर आध्यात्मिक ऊर्जा, सांस्कृतिक सौहार्द और सेवा-भाव की अनूठी छटा से परिपूर्ण रहा।

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