गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय में अमर हुतात्मा स्वामी श्रद्धानंद जी के 100वें बलिदान दिवस पर 51 कुंडलीय महायज्ञ, भव्य शोभायात्रा और श्रद्धांजलि सभा का हुआ आयोजन

खबर डोज, हरिद्वार। अमर हुतात्मा स्वामी श्रद्धानंद जी के 100वें बलिदान दिवस के पावन अवसर पर गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय के दयानंद स्टेडियम में वैदिक परंपरा, श्रद्धा और राष्ट्रीय चेतना से ओतप्रोत 51 कुंडलीय महायज्ञ का भव्य एवं गरिमामय आयोजन किया गया। यज्ञ के ब्रह्मा प्रो. मनुदेव बंधु रहे, जबकि सहयोगी वाचक के रूप में डा. दीनदयाल एवं डा. वेदव्रत ने विधिवत आहुतियां संपन्न कराईं। आचार्यों के सान्निध्य में सम्पन्न महायज्ञ के दौरान संपूर्ण वातावरण वेदध्वनि, यज्ञाग्नि की पवित्र सुगंध और राष्ट्र, समाज व मानवता के कल्याण के संकल्प से अनुप्राणित रहा।

इस अवसर पर वक्ताओं ने स्वामी श्रद्धानंद जी के तपस्वी जीवन, शिक्षा-सेवा, सामाजिक सुधार एवं राष्ट्रहित में दिए गए महान बलिदान का स्मरण किया। यज्ञ ब्रह्मा प्रो. मनुदेव बंधु ने कहा कि स्वामी श्रद्धानंद जी का जीवन सनातन संस्कृति के संरक्षण और भारतीय समाज के जागरण का उज्ज्वल अध्याय है। उन्होंने शिक्षा को राष्ट्रनिर्माण का सशक्त माध्यम मानते हुए गुरुकुल परंपरा को आधुनिक युग में प्रतिष्ठित किया। उनका बलिदान केवल इतिहास की घटना नहीं, बल्कि आज भी समाज को दिशा देने वाला प्रेरणास्रोत है। महायज्ञ के माध्यम से विश्व शांति, राष्ट्र की अखंडता, सामाजिक सद्भाव, पर्यावरण संरक्षण तथा मानव कल्याण की कामना की गई।

नौ संकायों की भव्य झांकियां बनीं आकर्षण का केंद्र
100वें बलिदान दिवस के उपलक्ष्य में विश्वविद्यालय के 09 संकायों द्वारा भव्य झांकियां निकाली गईं, जिनमें स्वामी श्रद्धानंद जी के जीवन, तप, त्याग, शिक्षा-दर्शन और राष्ट्रसेवा के विविध प्रसंगों का सजीव व प्रभावशाली प्रदर्शन किया गया। प्रतियोगिता में अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संकाय को प्रथम, विज्ञान संकाय को द्वितीय, मानविकी संकाय को तृतीय तथा अन्य संकायों को सांत्वना पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
झांकियों के माध्यम से गुरुकुल परंपरा, वैदिक शिक्षा प्रणाली, सामाजिक सुधार, राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक पुनर्जागरण के संदेश को रेखांकित किया गया। झांकी टीम के संयोजक डा. श्वेतांक आर्य ने कहा कि झांकियां केवल दृश्य प्रस्तुति नहीं, बल्कि भावी पीढ़ी को राष्ट्रनिर्माण के प्रति जागरूक करने का सशक्त माध्यम हैं। उन्होंने बताया कि झांकियों की शोभायात्रा दयानंद स्टेडियम से प्रारंभ होकर सिंहद्वार, शंकर आश्रम-शंकराचार्य चौक, प्रेमनगर आश्रम होते हुए पुनः दयानंद स्टेडियम पर संपन्न हुई। शोभायात्रा में विश्वविद्यालय के हजारों आचार्य, कर्मचारी व छात्र-छात्राओं ने सहभागिता निभाई।
श्रद्धांजलि सभा व शोभायात्रा में उमड़ा जनसैलाब
दयानंद स्टेडियम में आयोजित श्रद्धांजलि सभा का शुभारंभ ओम् ध्वज फहराकर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. प्रतिभा मेहता लूथरा ने किया। इसके पश्चात लगभग ढाई किलोमीटर लंबी शोभायात्रा नगर के प्रमुख मार्गों से गुजरते हुए पुनः स्टेडियम में संपन्न हुई। स्वामी श्रद्धानंद के जयघोष से वातावरण गुरुकुलमय हो उठा। शोभायात्रा में संस्थापक स्वामी श्रद्धानंद के जीवन से जुड़े विभिन्न प्रसंगों पर आधारित झांकियां प्रस्तुत की गईं।
मुख्य अतिथि स्वतंत्रता सेनानी प्रो. भारत भूषण विद्यालंकार ने कहा कि ‘श्रद्धानंद’ का अर्थ हर स्थिति में आनंद की अनुभूति है, जिसे स्वामी श्रद्धानंद जी ने अपने जीवन में साकार किया। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में भारतीय शिक्षा व्यवस्था को नया स्वरूप देने के साथ-साथ स्वतंत्रता आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका निभाई।
अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति प्रो. प्रतिभा मेहता लूथरा ने कहा कि स्वामी श्रद्धानंद जी के बताए मार्ग पर चलते हुए विश्वविद्यालय को शिक्षा व शोध के क्षेत्र में प्रगति के पथ पर आगे बढ़ाया जाएगा। शीघ्र ही अनुसंधानपरक व नए पाठ्यक्रम प्रारंभ किए जाएंगे, ताकि वैदिक ज्ञान परंपरा के साथ आधुनिक विषयों का समन्वय हो सके।
उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिनेशचंद्र शास्त्री ने स्वामी श्रद्धानंद जी को चार दृष्टिकोणों—राष्ट्रबोध, शिक्षा-कौशल, राष्ट्रीय विपत्ति में तत्परता और वैदिक परंपरा के संरक्षण—से रेखांकित किया। उन्होंने गुरुकुल के माध्यम से शुद्धि पाठ्यक्रम पुनः आरंभ करने की आवश्यकता पर बल दिया।
कुलसचिव प्रो. नवनीत ने कहा कि स्वामी श्रद्धानंद जी ने गुरुकुलीय शिक्षा प्रणाली के माध्यम से युवा पीढ़ी को संस्कारवान बनाने का संकल्प लिया, जिसका परिणाम आज देशव्यापी स्तर पर दिख रहा है। वित्ताधिकारी प्रो. वी.के. सिंह ने सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन डा. अजय मलिक, डा. हिमांशु पंडित एवं शशिकांत शर्मा ने किया। इस अवसर पर विद्यार्थियों द्वारा सांस्कृतिक एवं ताइक्वांडो प्रस्तुतियां भी दी गईं।
कार्यक्रम में प्रो. आर.के.एस. डागर, डा. करतार सिंह, डा. अनिता स्नातिका सहित अनेक शिक्षाविदों, आचार्यों, कर्मचारियों, एनसीसी-एनएसएस कैडेट्स, छात्र-छात्राओं एवं नगर के गणमान्य नागरिकों की गरिमामयी उपस्थिति रही। कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों की सराहना करते हुए स्वामी श्रद्धानंद जी के आदर्शों पर चलने का सामूहिक संकल्प लिया गया।

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