कम मतदान: हरिद्वार और गढ़वाल लोकसभा सीट पर बदलाव की चर्चा जारी

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देहरादून। हरिद्वार लोस सीट पर भाजपा प्रत्याशी त्रिवेंद्र सिंह रावत और कांग्रेस प्रत्याशी वीरेंद्र रावत अपनी जीत को लेकर आश्वस्त नजर आ रहे हैं। दोनों ही उम्मीदवारों के अपनी जीत के पक्ष में अपने-अपने तर्क हैं। इस सीट पर मतदान प्रतिशत घटता चला गया। भाजपा कब्जे वाली इस सीट पर 2014 में यह 71.57% था। 2019 में यह 68.92% था। इस चुनाव में यह घटकर 62.36% पहुंच गया। मतदान प्रतिशत के आंकड़ों के विश्लेषण से जो तस्वीर उभर कर सामने आ रही है, वह बता रही कि संसदीय क्षेत्र में जिन विस सीटों पर कांग्रेस व विपक्षी विधायक काबिज हैं, उनमें भाजपा कब्जे वाली विधानसभा सीटों से अधिक मतदान हुआ है। भाजपा शासित धर्मपुर, ऋषिकेश, डोईवाला, हरिद्वार, रुड़की में 60% से कम मतदान हुआ। केवल भेल रानीपुर सीट पर 60% मतदान हुआ। वहीं, कांग्रेस शासित सीटों भगवानपुर, हरिद्वार ग्रामीण, झबरेड़ा, ज्वालापुर, पिरान कलियर सीट पर मतदान 60% से लेकर 73.21% तक रहा। इन सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी अच्छी-खासी तादाद में है। इसके अलावा मंगलौर, लक्सर व खानपुर सीट पर भी मतदान 60% से अधिक रहा है। इस हिसाब से कांग्रेस बाजी अपने पक्ष होने का दावा कर रही है।
उधर, गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र में
भाजपा का गढ़ मानी जाने वाली गढ़वाल लोकसभा सीट पर लगातार दूसरे चुनाव में मतदान प्रतिशत की गिरावट जारी है। यह सीट पिछले 10 साल से बीजेपी के पास है। वर्तमान में इस लोकसभा की 14 में से 13 सीटें भी भाजपा के पास हैं, जबकि 14वीं बदरीनाथ विधानसभा के कांग्रेस विधायक भी चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गए थे। पिछले तीन चुनावों का ट्रेंड देखें तो गढ़वाल लोकसभा की तस्वीर कुछ समझ आती है। 2009 के लोकसभा चुनाव में यहां 48.87 प्रतिशत मतदान हुआ था, जिसमें कांग्रेस से सतपाल महाराज सांसद चुने गए थे। 2014 में तस्वीर पलट गई। इस सीट पर मतदान प्रतिशत बढ़कर 53.98 प्रतिशत हो गया और भाजपा के मेजर जनरल बीसी खंडूड़ी यहां से सांसद चुने गए। 2019 में मतदान प्रतिशत और बढ़कर 54.47 प्रतिशत दर्ज किया गया और भाजपा के तीरथ सिंह रावत यहां सांसद चुने गए, लेकिन इस बार मतदान प्रतिशत में करीब 3.63 प्रतिशत गिरकर 50.84 पर पहुंच गया है। इस लोकसभा की 14 में से 13 विधानसभा सीटों पर 2022 के विस चुनाव में भाजपा विजयी हुई थी। बदरीनाथ विस सीट पर कांग्रेस के राजेंद्र भंडारी विधायक थे जो लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा में शामिल हो गए थे, जिसके बाद ये सीट खाली है। इस बार यहां भाजपा के अनिल बलूनी और कांग्रेस के गणेश गोदियाल मैदान में थे। दोनों ही अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं।

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