नेता जी को राजनीति में नही आ रहा मजा, कोतवाली में उल्टा पीड़ित को ही दिलाकर मानेंगे सजा

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पीड़ित को पिटाई का वीडियो वायरल होने के बाद भी मिली खटाई

हरिद्वार। जनपद हरिद्वार के चर्चित और कथित नेता जी को राजनीति करने में लगता है कोई मजा नही आ रहा है। पिटाई का वीडियो वायरल होने के बाद भी बिल्डर पक्ष की मजबूत राजनीतिक पकड़ और कथित “माननीय” के हस्तक्षेप से उल्टा पीड़ित के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया, जो कि शर्मनाक बात है। आखिर कौन है वो कथित नेता, जिसके दबाव में आकर पीड़ित के खिलाफ ही मामला दर्ज कर दिया गया है। यह सवाल पुलिस की भूमिका को संदेह के घेरे में लाकर खड़ा कर रहा है।

क्या है पूरा मामला

ज्वालापुर क्षेत्र की मयूर विहार कॉलोनी में सड़क पर गेट लगाने को लेकर शुरू हुआ विवाद अब पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहा है। पहले कॉलोनी के निवासी संदीप अरोड़ा ने बिल्डर पक्ष के खिलाफ मारपीट और धमकी का मुकदमा दर्ज कराया था, लेकिन अगले ही दिन बिल्डर पक्ष की मजबूत राजनीतिक पकड़ और कथित “माननीय” के हस्तक्षेप से पुलिस ने पीड़ित संदीप अरोड़ा और उनके पड़ोसी परमानंद पोपली के खिलाफ ही क्रॉस एफआईआर दर्ज कर दी।

हैरान करने वाली बात यह है कि बिल्डर पक्ष की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर में संदीप अरोड़ा, परमानंद पोपली के अलावा उनके परिवार की महिलाओं–मोनिका, आयुषी और गीता को भी नामजद आरोपी बनाया गया है। स्थानीय लोगों ने इसे न्याय की खुली हत्या करार देते हुए पुलिस पर पक्षपात का आरोप लगाया है।

मामला 12 जुलाई का है, जब कॉलोनी के निवासी आपसी सहमति से गली के बाहर सुरक्षा के लिए गेट लगाने पर विचार कर रहे थे। इसी दौरान बिल्डर पक्ष से जुड़े लोगों ने आकर विरोध करते हुए कथित रूप से गाली-गलौज की और धमकी दी। इसके बाद 13 जुलाई को संदीप अरोड़ा ने कोतवाली ज्वालापुर में एफआईआर दर्ज कराई।

लेकिन 14 जुलाई को बिल्डर के ड्राइवर मोनू कुमार की ओर से दी गई तहरीर पर पुलिस ने उसी संदीप अरोड़ा समेत आठ लोगों के खिलाफ क्रॉस एफआईआर दर्ज कर दी। इसमें महिलाओं को भी जबरन घसीटा गया, जिससे पूरे क्षेत्र में रोष है। कोतवाली प्रभारी अमरजीत सिंह का कहना है कि दोनों पक्षों की तहरीरों पर कार्रवाई हुई है और निष्पक्ष जांच की जाएगी।

उधर, सूत्रों के मुताबिक बिल्डर के पक्ष में एक भाजपा के पदाधिकारी ने पूरी पैरवी की और उल्टा पीटने वाले लोगों के खिलाफ ही मुकदमा दर्ज करवा दिया। यही नहीं मुकदमे के बाद आगे मामला भी सेट करने में नेता जी जुट गए हैं। इस पूरी घटना में यह साफ हो गया है कि हर बार की तरह न्यायालय नहीं बल्कि नेता जी ही तय करके फैसला सुनाएंगे।

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