स्वामी रामदेव गुरुकुलों की स्थापना कर महर्षि दयानंद के स्वप्न को कर रहे साकारः रक्षामंत्री राजनाथ सिंह

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-देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने रखी पतंजलि गुरुकुलम की आधारशिला
हरिद्वार। शनिवार को पतंजलि योगपीठ के 29वें स्थापना दिवस, पतंजलि योगपीठ महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती और गुरुकुल ज्वालापुर के संस्थापक स्वामी दर्शनानंद की जयंती के अवसर पर देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विश्व के श्रेष्ठतम गुरुकुल ‘पतंजलि गुरुकुलम’ और देश के श्रेष्ठतम शिक्षण संस्थान आचार्यकुलम् की नई शाखा का शिलान्यास किया।


शिलान्यास कार्यक्रम को संबोधित करते हुए देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि गुरुकुलों में शिक्षा के साथ-साथ समाज में शुचिता और नैतिकता का पाठ भी पढ़ाया जाता था।

मैकाले ने एक षड्यंत्र के तहत ऐसी शिक्षा प्रणाली विकसित की, जिसने हमारी गुरुकुलीय परंपरा को लगभग समाप्त ही कर दिया था, किंतु स्वामी रामदेव महाराज जैसे तपस्वी महापुरुष ने गुरुकुल की परंपरा को पुनः गौरव प्रदान करते हुए पतंजलि गुरुकुलम् की आधारशिला रखी।

कहा कि स्वामी रामदेव के दिशा-निर्देशन में संचालित पतंजलि गुरुकुलम् भारतीय संस्कृति और सनातन की ध्वजवाहक बनेगा। भारतीय संस्कृति जीवित और सनातन बनी हुई है। इसमें इस देश के गुरुओं का बहुत बड़ा योगदान है। 1500 वर्ष पूर्व नालंदा और तक्षशिला विश्वविद्यालय उसी गुरुकुलीय परंपरा के श्रेष्ठ उदाहरण हैं, जहां से पूरा विश्व शिक्षा के क्षेत्र में दीप्तमान होता था। स्वामी रामदेव भी उसी दिशा में कार्य कर रहे हैं और गुरुकुलों की स्थापना कर महर्षि दयानंद के स्वप्न को साकार कर रहे हैं।
अपने संबोधन में योगगुरू स्वामी रामदेव महाराज ने कहा कि गुरुकुल से शिक्षा प्राप्त कर मानव सेवा के लिए विशाल अर्थ साम्राज्य स्थापित किया। अभी 500 करोड़ की लागत से पतंजलि गुरुकुलम् और आचार्यकुलम् तैयार करने की योजना है। साथ ही अगले 5 सालों में 5 से 10 हजार करोड़ रुपए शिक्षा के अनुष्ठान में खर्च करने का लक्ष्य है। जो देश से पाया है, उसे इस देश को वापस लौटाना है। कहा कि महर्षि दयानंद के पदचिंहों पर चलकर योगधर्म से राष्ट्रधर्म को सर्वोपरि रखा है। महर्षि दयानंद ने एक ओर वेद धर्म, सनातन धर्म की बात की तो वहीं दूसरी ओर राष्ट्र धर्म के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले बलिदानी तैयार किए। पतंजलि गुरुकुल सनातन के ध्वजवाहक तैयार करेगा, जो पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार करेंगे। पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि पूज्य स्वामी दर्शनानंद ने अल्प संसाधनों से यह संस्था प्रारंभ कर एक स्वप्न देखा था। जिसे स्वामी रामदेव महाराज साकार कर रहे हैं। इस संस्था ने अपनी युवावस्था के गौरव को देखा है। कहीं न कहीं यह संस्था अपनी वृद्धावस्था की तरफ जा रही थी, किंतु योगगुरू स्वामी रामदेव के तप और पुरुषार्थ से यह पुनः अपने अतीत के गौरव को समेटे हुए वैभव प्राप्त करेगी। अतीत में देखें तो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, राष्ट्रपति तथा पांच प्रधानमंत्रियों ने भी गुरुकुल ज्वालापुर की भूमि को प्रणाम किया है। भविष्य में इस भूमि से नए-नए कीर्तिमान स्थाापित किए जाएंगे। जिसके साक्षी दुनिया के प्रतिष्ठित लोग होंगे। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि त्रेता में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम और द्वापर में योगेश्वर कृष्ण ने गुरुकुलों में शिक्षा ग्रहण की। स्वामी रामदेव उसी गौरवशाली गुरुकुलीय परंपरा के संवाहक बन गुरुकुलीय परंपरा को गौरव प्रदान कर रहे हैं। कहा कि नई शिक्षा नीति के माध्यम से भविष्य की पीढ़ी को भारतीय संस्कृति से जोड़ने का प्रण लिया है। उनका लक्ष्य विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास है। मानवीयता के उत्कृष्ट मापदंड स्थापित करने हैं। उन्होंने स्वामी रामदेव को मध्य प्रदेश के उज्जैन में गुरुकुल स्थापित करने और मध्य प्रदेश से पतंजलि के सभी प्रकल्पों को संचालित करने के लिए आमंत्रित किया।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि गुरुकुल एक विशिष्ट शब्द है, जहां गुरु शिष्य को कुलवाहक मानकर शिक्षित कर उसका मार्ग प्रशस्त करता है। स्वामी रामदेव महाराज महर्षि दधिचि के समान अपना सर्वस्व देश और समाज की सेवा में न्यौछावर कर रहे हैं। यह गुरुकुल बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ संस्कार भी प्रदान करेगा। जिससे वह आदर्श नागरिक बनकर जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में योगदान देंगे। यह गुरुकुल व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण की परिकल्पना साकार करेगा। पतंजलि की गंगोत्री से भारतीय संस्कृति की गंगा बहेगी।
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी, एमिटी ग्रुप के चेयरमैन डॉ. अशोक चैहान, बाबा बालकनाथ महाराज, लक्ष्मण गुरु, अखाड़ा परिषद अध्यक्ष स्वामी रविंद्रपुरी महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद महाराज, स्वामी यतीश्वरानंद, सत्यपाल, स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत, रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, शोभित गर्ग, मदन कौशिक, राकेश टिकैत, सुरेश चंद्र आर्य, आचार्य स्वदेश, विनय आर्य, दयानंद चैहान, स्वामी आर्यवेश, आचार्या सुमेशा, आचार्या सुकामा, सुशील चैहान, स्वामी संपूर्णानंद आदि मौजूद रहे।

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