मार्मिक संवेदना दिखाते हुए जिला अस्पताल हरिद्वार ने कायम की मिसाल
–मानसिक रूप से बीमार युवती को परिवार से मिलवाने में दिखाई संवेदनशीलता
-बिहार के गुलबस्ती की रहने वाली हैं युवती, पिछले तीन माह से थी घर से लापता
-15 दिसम्बर को 108 ने कराया था अचेत हालत में उपचार के लिए भर्ती
-युवती के परिजनों खोजने में सिस्टर आशा शुक्ला ने निभाई अहम भूमिका
-युवती के मां और भाई हरिद्वार पहुंचकर युवती को अपने साथ ले गये घर
हरिद्वार। पिछले करीब डेढ माह से मानसिक रूप से बीमार जिला अस्पताल के निराश्रित वार्ड में उपचाराधीन लावारिस
युवती को आखिर अस्पताल के अथक प्रयास के बाद परिवार मिल गया।
जिला अस्पताल हरिद्वार पीएमएस सी पी त्रिपाठी
युवती बिहार की रहने वाली हैं और पिछले तीन माह से घर से लापता थी। अस्पताल प्रबंधन द्वारा परिजनों को युवती के जिला अस्पताल में भर्ती होने की सूचना देने के बाद मां और भाई उसको लेने के लिए हरिद्वार पहुंच गये है। युवती को सकुशल पाकर मां और भाई के खुशी का ठिकाना नहीं रहा और बेटी से मिलकर भावुक हो गये। प्रबंधन द्वारा मामले की जानकारी कोतवाली नगर पुलिस को दी। सूचना पर पुलिस ने मौके पर पहुंचकर पूरी औपचारिकात पूर्ण करते हुए युवती को मां और भाई को सुपूर्द कर दिया। बता दें कि युवती को 108 के द्वारा 15 दिसम्बर 24 को मेला अस्पताल के पास से अचेत हालत में लाकर जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
सिस्टर आशा शुक्ला (जिला अस्पताल हरिद्वार)
जिला अस्पताल हरिद्वार पीएमएस डॉ. सीपी त्रिपाठी ने बताया कि 15 दिसम्बर 24 को 108 की मदद से करीब 20 वर्षीय एक युवती को अचेत हालत में जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जिसके सम्बंध में अस्पताल से
कोतवाली नगर पुलिस को एक पीआई भेज दी गयी थी। युवती को भर्ती कर उपचार शुरू कर दिया गया। युवती के कुछ दिन बाद होश आने पर उसने अपना नाम शहजादी पुत्री मो. इकबाल बताया था। इसके अलावा युवती कुछ भी बातने की स्थिति में नहीं थी। युवती की मानसिक स्थिति ठीक नहीं हैं जिसकारण वह गुमशुम रहती थी और अच्छी तरह से खाना भी नहीं खा पा रही थी। युवती से परिजनों के सम्बंध में अधिक जानकारी जुटाने की जिम्मेदारी सिस्टर आशा शुक्ला को सौपी गयी।
उन्होंने बताया कि सिस्टर आशा शुक्ला प्रतिदिन युवती से बात करने का प्रयास करती, लेकिन युवती गुमशुम रही। जिस कारण युवती के घर के सम्बंध में अधिक जानकारी जुटाने में सिस्टर आशा शुक्ला को अधिक दिक्कतों का सामना करना पडा। लेकिन सिस्टर आशा शुक्ला की मेहनत रंग लाई और कुछ दिन पूर्व युवती ने सिस्टर को एक मोबाइल नम्बर की जानकारी दी। जिसपर कॉल की गयी तो वह नम्बर युवती के बिहार निवासी फूंफा का निकला। युवती का फोटो फूंफा को भेजा गया, जिन्होंने फोटो देखकर पहचान लिया। फूंका से युवती की मां नासरून निसा का मोबाइल नम्बर लेकर सम्पर्क कर मामलेे से अवगत कराया गया। सूचना पर युवती की मां नासरून निसा और भाई मो. अफाक आलम निवासी वार्ड नम्बर 16 गुलबस्ती किशनगंज बिहार आज जिला अस्पताल हरिद्वार पहुंचे। मां और भाई ने युवती को देखकर भावुक होकर उसे गले से लगा लिया।
युवती की मां नासरून निसा ने बताया कि उसके चार बेटे और चार बेटियां है। शहजादी उनकी दूसरे नम्बर की बेटी है। जोकि कक्षा 08 तक पढ़ी हैं, लेकिन मानसिक रूप से बीमार होने के कारण आगे नहीं पढ पाई। शहजादी घर में रहती और किसी से ज्यादा बात नहीं करती थी। उन्होने शहजादी का कई डॉक्टरों से इलाज कराया, लेकिन को फायदा नहीं हुआ। शहजादी दीपावली की तड़के करीब 03 बजे घर से बिना कुछ बताये चुपचाप निकल गयी। जिसकी जानकारी हम लोगों को सुबह जागने पर हुई। उन्होने शहजादी की रिश्तेदारों समेत सम्भावित ठिकानों पर उसकी तलाश की, मगर कोई सुराग नहीं लग सका। परिवार के लोग शहजादी की तलाश में जुटे थे कि हरिद्वार से आई फोन कॉल ने उनको शहजादी के अस्पताल में भर्ती होने की जानकारी दी।
डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि मामले की जानकारी कोतवाली नगर पुलिस को भेज दी है। पुलिस पूरी औपारिकता पूर्ण करते हुए युवती को उनके सुपूर्दगी में दे दिया गया है। मां और भाई युवती को अपने साथ वापस बिहार के लिए रवाना हो रहे है। युवती का उपचार कर रहे चिकित्सक द्वारा उसको दी जा रही दवाओं को लिख दिया गया है। युवती को मनोचिकित्सक को दिखाने के लिए भी कहा गया है।पीएमएस ने सिस्टर आशा शुक्ला के अथक प्रयास के बाद युुवती को परिवार मिलने पर उनकी जमकर तारीफ की है। वहीं अस्पताल के चिकित्सकों समेत स्टॉफ ने भी सिस्टर की सरहाना की है।
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