अनियोजित रूप से नदी में हुए खनन का नतीजा है मालन नदी का पुल टूटना, झूलापुल टूटने की कगार परः पूर्व मंत्री सुरेंद्र सिंह
-भाजपा पर लगाया नदियों में खनन कराकर तार-तार करने का आरोप
कोटद्वार। मालन नदी का पुल टूटने के बाद प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी ने वर्तमान सरकार पर पुल की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए पुल का टूटने का कारण अनियोजित रूप से खनन का परिणाम बताया है। मालन नदी का पुल टूटने के बाद झूलापुल भी अवैध खनन की भेंट चढ़ने का तैयार है। इन पुलों की देखरेख की जिम्मेदारी सरकार की है, लेकिन सरकार की अनदेखी के चलते करोड़ों रूपए की लागत से बना यह पुल अवैध खनन की भेंट चढ़ गया है।
पूर्व मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी ने पुल का निरीक्षण करने के दौरान कहा कि हम बनाते रहे वह तोड़ने का काम करते रहे। हमने नदियों को सुरक्षित रखा, लेकिन सरकार ने नदियों में खनन कराकर उन्हें तार-तार कर दिया। मालन नदी में अनियोजित रूप से हुए खनन का परिणाम मालन नदी का पुल टूटना है। कहा कि खनन के बाद यदि नदी में बड़े-बड़े गड्ढ़े हुए हैं, तो उन्हें पाटने का कार्य किया जाता है। जिससे बरसात के दौरान आने वाला पानी एक लेबल में बहे। सरकार और स्थानीय विधायक की अनदेखी के चलते करोड़ों रूपए के पुल की क्षति हो गई है। पुल क्षतिग्रस्त होने के बाद भाबर से कोटद्वार आने वाले लोगों के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई है। लगभग एक वर्ष तक उन्हें अन्य रास्तों से कोटद्वार से आवाजाही करनी होगी। कहा कि कोई प्रोजेक्ट स्वीकृत होता या कोई पुल बनता है तो उसकी देखरेख करने की जिम्मेदारी सरकार की होती है, लेकिन सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। खनन के दौरान यदि नदी में कोई पुल बना होता है तो उसके दांये-बांये 100-100 मीटर तक खुदाई नहीं की जाती है। जिससे वह पुल सुरक्षित रहे सके, लेकिन सरकार नई नीति बनाकर उसमें खुदाई का स्थान 100-100 मीटर के स्थान पर 50-50 मीटर कर दिया गया। उन पैसों के खातिर, जो पैसा सरकार के पास गया ही नहीं है और वह पैसे अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच बंट गए। कुछ दिन पूर्व सुखरौ नदी का पुल भी बैठ गया था। वर्तमान सरकार सड़कों और पुलों पर टल्ला लगाने का कार्य कर रही है। खोह नदी पर बना झूलापुल भी टूटने की कगार पर है।
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