चौखुटिया में डॉक्टरों की तैनाती पर कांग्रेस का विरोध, सरकार ने लिया था जनहित में फैसला, अब कांग्रेस पर लोगों ने उठाए सवाल

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खबर डोज, अल्मोड़ा। चौखुटिया में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए सरकार ने सीएचसी को उप जिला अस्पताल बनाते हुए विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती की लेकिन इस तैनाती के विरोध में स्थानीय कांग्रेस विधायक मनोज तिवारी और कांग्रेस कार्यकर्ता धरने पर बैठ गए। असल में जिन दो डॉक्टरों को अल्मोड़ा जिला अस्पताल से चौखुटिया भेजा गया था, उनमें से एक पूर्व सीएम हरीश रावत की रिश्तेदार हैं तो दूसरे डॉक्टर कांग्रेस विधायक के करीबी है। लिहाजा कांग्रेस विधायक ने हल्ला बोल दिया और समर्थकों के साथ धरने पर बैठ गए जिसके बाद सरकार को आदेश को वापस लेना पड़ा। वहीं अब कांग्रेस के तैनाती के विरोध को लेकर भी आवाज उठने लगी है। लोग इसे कांग्रेस की डर्टी पॉलिटिक्स बोल रहे हैं।

सरकार ने लिया तुरंत फैसला
चौखुटिया में स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जनता की आवाज़ सुनी और सिर्फ 24 घंटे के भीतर बड़ा फैसला ले लिया। सीएचसी को उप-जिला चिकित्सालय घोषित किया गया और डॉक्टरों की तैनाती के आदेश भी जारी हुए। अल्मोड़ा जिला अस्पताल से डॉ. मनीष पंत और डॉ. कृतिका भंडारी को चौखुटिया भेजने के आदेश जारी हुए।
जैसे ही जनता को राहत मिलनी शुरू हुई, विपक्ष को बेचैनी होने लगी। कांग्रेस ने इस पूरे प्रकरण में ऐसा शोर मचाया कि स्वास्थ्य विभाग को आदेश वापस लेने पड़े। अब यह वही कांग्रेस है जो खुद को जनता की आवाज़ बताती है। लेकिन जब जनता की आवाज़ सरकार ने सुन ली, तो इन्हें दर्द हो गया। दरअसल, डॉ. कृतिका भंडारी पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की नातिन हैं, और डॉ. मनीष पंत, विधायक मनोज तिवारी के करीबी। शनिवार को मनोज तिवारी करीब 200 समर्थकों के साथ सीएमओ ऑफिस पहुंच गए और घेराव किया। अब कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ही सवाल पूछ रहे हैं जब आदेश रद्द ही करने थे तो जारी क्यों किए गए, जबकि, सवाल उन्हीं से पूछा जाना चाहिए कि जब डॉक्टर चाहिए ही नहीं थे तो मुद्दा क्यों बनाया।

ये भी उठ रहे सवाल
महत्वपूर्ण बात ये भी हे कि जब डॉ. कृतिका भंडारी का ट्रांसफर हुआ था, उन्होंने बताया कि उनके पैर में चोट लग गई है और जिसके आधार पर वो पंद्रह दिनों की मेडिकल लीव पर चली जाती है। डॉ. भंडारी की छुट्टी पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। वहीं कांग्रेस की रणनीति भी सवालों के घेरे में हैं। एक तरफ सुविधाएं देने की मांग कर रही है तो वहीं दूसरी ओर डॉक्टरों की तैनाती पर भी धरने प्रदर्शन कर रही है।

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