रेलवे के अधिकारियों ने गाड़ी का किराया नहीं दिया तो चालक ने कर ली आत्महत्या

ख़बर शेयर करें -


हरिद्वार। रेलवे के कर्मचारियों ने गाड़ी का बकाया किराया नहीं दिया तो चालक ने आत्महत्या कर ली। मामले की सूचना पुलिस को मिली तो शव को कब्जे में लेने पहुंची टीम को मौके से सुसाइड नोट मिला। मामले की जानकारी होने पर मृतक के भाई ने सहरानपुर से आकर रेलवे अधिकारियों समेत तीन लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया। बहादराबाद और कनखल पुलिस पूरे मामले की जांच में जुटी हुई है।
मृतक के भाई सहारनपुर के थाना गागलहेड़ी क्षेत्र के गांव अमरपुर बेगमपुर निवासी मुल्कीराज ने दी तहरीर में बताया है कि उसके भाई संदीप ने परिवार के भरण पोषण के लिए अपने हिस्से की पैतृक जमीन बेचकर एक पिकअप गाड़ी ली और उसे रेलवे में ठेके पर लगा दिया। 40 हजार रुपये महीने के हिसाब से रेलवे से उनका करार हुआ था। संदीप से रेलवे कर्मचारी प्रदीप ने उसकी बोलेरो पिकअप गाड़ी रेलवे के अधिकारी बीआर तायल और एक अन्य डोभाल से यह किराया तय कराया था। गाड़ी का कुल किराया डेढ़ लाख रुपये बाकी है। इसी बीच जब संदीप ने रेलवे के सिग्नल अधिकारी बीआर तायल व डोभाल से पैसे मांगे तो उन्होंने पहले पैसे देने से आनाकानी करने लगे। बाद में उक्त लोग उसे परेशान करने लगे। बकाया पैसा न देने और परेशान करने पर संदीप ने एक सुसाइड नोट लिखकर आत्महत्या कर ली। जिसके जिम्मेदार बीआर तायल, डोभाल व प्रदीप हैं जो कि रेलवे कर्मचारी हैं। मृतक संदीप के भाई की तहरीर पर थाना बहादराबाद में आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। पुलिस मामले की जांच में जुटी है। मृतक भाई ने तहरीर में उल्लेख किया है कि संदीप की शादी 12 साल पूर्व प्रियंका निवासी कड़च्छ मोहल्ला ज्वालापुर से हुई थी। कुछ समय से उसके भाई और उसकी पत्नी के बीच विवाद चल रहा था। इसका कारण है कि भाई के ससुर जुगल किशोर जगजीतपुर कनखल में मकान बनाकर रहते हैं। शादी के कुछ दिन बाद उसकी पत्नी अपने पति पर दबाव बनाने लगी कि उसे भी जगजीतपुर कनखल हरिद्वार में ही रहना है। तब उसके पति ने जगजीतपुर कनखल में किराये के मकान में अपने बच्चों व पत्नी के साथ रहने लगा। इसी बीच आर्थिक विपन्नता के चलते उनका विवाद फिर शुरू हो गया। मामला महिला हेल्पलाइन तक गया। पुलिस ने हेल्पलाइन में दोनों के बीच समझौता करवा दिया। लेकिन इधर कमाई के रुपये को लेकर पत्नी फिर से नाराज होकर अपने मायके में रहने लगी थी।
बेरोजगार दामाद पाकर संदीप के ससुराल वाले खुश नहीं थे। उन्होंने उसपर अपने हिस्से की खेत की जमीन व गांव में अपने हिस्से का घर बेचने का दबाव बनाया तो संदीप ने इसे भी स्वीकार्य किया था। वह अपने हिस्से का खेत और घर बेच दिया। उस पैसे से उसने परम काॅलोनी जगजीतपुर में बना बनाया मकान लिया और रोजगार की तलाश की कामना पूरी हुई। लेकिन रेलवे के जिम्मेदारों ने उसकी इस व्यथा को नहीं परखा और न ही मानवीयता दिखाई।

You cannot copy content of this page