कोटद्वार की खोह, सुखरो नदी समेत इन नदियों के किनारे बने निर्माण होंगे ध्वस्त

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कोटद्वार। प्रदेश में इन दिनों अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई जारी है। वन भूमि पर किए गए अतिक्रमण को खाली कराया जा रहा है। सीएम धामी भी अतिक्रमण के खिलाफ सख्त रुख अपना चुके है। इस अभियान के तहत अब तक धार्मिक स्थलों को चिह्नित कर उन्हें हटाया जा रहा था तो वहीं अब शासन की ओर नदी क्षेत्रों को भी अतिक्रमण मुक्त कराया जाएगा। जिसके लिए कवायद शुरू हो गई है।
मिली जानकारी के अनुसार राजधानी देहरादून समेत कई शहरों में अवैध अतिक्रमण को हटाए जाने की प्रक्रिया जारी है। इसमें मुख्य रूप से चर्चा वन भूमि या फिर अन्य सरकारी भूमि पर बनी मजारें व मंदिरों को ढहाया जा रहा है। मैदान से लेकर पहाड़ी इलाकों में बनीं अवैध मजारों पर बुलडोजर चल रहा है। अभी तक कुल 347 अवैध मजारें व 35 मंदिर हटाये जा चुके हैं। वहीं अब ये अभियान नदियों तक पहुंच गया है। बताया जा रहा है कि इस अभियान के तहत तमाम जलस्रोत, झील, तालाब को कब्जा मुक्त कराया जाएगा।
प्रदेश में वन विभाग के तमाम जलस्रोत, झील, तालाब, नदियों आदि में अतिक्रमण हटाने के लिए जिला प्रशासन की भी मदद ली जाएगी। इस बाबत शासन की ओर से भी आदेश दिए गए हैं। जिन नदियों से अतिक्रमण हटाया जाना है उसमें गौला, शारदा, नंधौर, दाबका, कोसी, गंगा, मालन, कालसी, जमुना, टौंस, खो नदी, सुखरो, शीतला, आसन, रिस्पना, पोनधई, चोरखाला, स्वार्णना, जाखन, सहस्त्रधारा काली राव और मालदेवता बरसाती नाला आदि नदियां शामिल हैं।
बताया जा रहा है कि शासन की ओर से अवैध कब्जों को हटाने के लिए 10 सूत्रीय गाइडलाइन तय करने के साथ ही कार्रवाई का समय और अधिकारियों की जिम्मेदारियां तय की गई हैं। अब वन क्षेत्रों में स्थित नदियों में खनन के दौरान मजदूर झुग्गियां बनाकर नहीं रह सकेंगे। उन्हें दिन में खनन का काम कर रात को स्थायी ठिकाने पर लौटना होगा। वन विभाग शीघ्र ही अभियान चलाकर नदियों में बनी झुग्गियों को हटाएगा।

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